अपने आप को बहुत प्रोग्रेसिव समझते हो? घर वालों के साथ टीवी देखते वक़्त अगर कंडोम का ऐड आ जाए तो कैसे बगलें झांकने लगते हो। क्यों? डर लगता है? शर्म आती? हमारे देश के कुछ लोग और महान हैं। भारतीय संस्कृति के नाम पर आधी चीज़ों को "बैन" कर देते हैं। लोगों की एक से एक क्रिएशन इनकी फेक नैश्नलिज़्म के भेंट चढ़ जाती है। भारत और इसके वासियों के इसी डबल स्टैण्डर्ड बर्ताव को दिखाया है इंस्टिट्यूट ऑफ़ आर्ट, डिज़ाइन एंड टेक्नोलॉजी बंगलुरु की स्टूडेंट अक्षिता चन्द्र ने। अक्षिता ने अपने कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए खजुराहो के मंदिरों पर उकेरी गयी तस्वीरों से इंस्पिरेशन लेते हुए भारत में कुछ दिन पहले से चल रहे सेंसरशिप के इशू पर प्रहार किया है। उन्होंने बताने की कोशिश की है कि सालों पहले भारत सेक्स जैसे मुद्दों पर कितने खुले विचारों वाला हुआ करता था। चंद्रा के इस प्रोजेक्ट का नाम है "बीइंग सेंसिटिव"। इसे बनाने में उन्हें करीब चार महीनों का समय लगा। इसके माध्यम से उन्होंने कई सारी स्थितियों को दिखाने की कोशिश की है। ये हैं अक्षिता चंद्रा पिछले दिनों कई सारे कपल्स को होटल से निकाल-निकाल कर पुलिस के हवाले कर दिया गया। उनपर पब्लिक प्लेस पर अश्लीलता के आरोप लगाए गए जब कुछ दिनों पहले मुंबई में लौन्जरी को डमी पर डिस्प्ले करने पर बैन कर दिया गया?एक एजुकेशन एक्टिविस्ट का एक बेहद अजीब बयान "भारत में सेक्स एजुकेशन की ज़रुरत नहीं"पिछले कई सालों से वैलेंटाइन्स डे मनाने वाले लोगों पर कई धार्मिक पार्टियाँ हमला कर रही हैं जब फिल्मों में क्लीवेज को ब्लर कर दिया जाता है जब सेक्शन 377 के तहत कार्नल इंटरकोर्स को नेचर के विरूद्ध करार दिया गया कुछ दिनों पहले विश्व हिन्दू परिषद की महिला कार्यकर्ताओं ने "नेकेड एंड न्यूड" एक्ज़ीबिशन" (डेल्ही) का भारी विरोध किया जब यूनियन कल्चर एंड ह्यूमन रिसोर्स डेवलपमेंट मिनिस्टर्स ने पूरे भारत में "सांस्कृतिक प्रदूषण" हटाओ के नाम से एक अभियान चलाने की घोषणा की
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