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बदलते सिनेमा में गैंग्स ऑफ वासेपुर फिल्म ने लोगों के दिलों को डायरेक्टली खटखटा दिया। इस फिल्म के सीन, संवाद और अदाकारी में वास्तविकता इतनी कालीकारी से ठूसी गई कि आप इसके अंदर खुद घुस जाएंगे। फिल्म देखने के बाद इसके गाने आपके दिमाग में घूमते रहेंगे। क्योंकि जिस पृष्ठभूमि पर यह फिल्म बनाई गई थी, उसके हिसाब से आवाज और शब्द बहुत शूट करते हैं। इस फिल्म का एक गाना आपको आज भी याद होगा, फ्रस्टियायो नहीं मूरा...नर्भसाओ नहीं मूरा...’
फिल्म में इस गाने के दो वर्जन है। एक गाना स्नेहा ने गाया और दूसरा वर्जन गाना गाया 14 साल के दीपक ठाकुर ने। ये दीपक किसी बड़े शहर का डूड टाइप का लड़का नहीं है जो मंहगी ड्रेस और भयानक खूशबू वाला डिओ लगाता हो। बल्कि ये लड़का गांव में खेत की पगडंडियों पर जमीन पर दरी बिछाकर हारमोनियम के साथ गाना गाता है। शायद इसी लिए इस गाने के ठेठपन के साथ पूरा इंसाफ कर पाए।
दीपक को गाने का शौक नहीं है, उन पर गाने की धुन सवार थी। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि शुरुआती दिनों में वो जगराते में गाने के लिए मीलों सफर करके चले जाते थे। वो बताते हैं कि कई बड़े बड़े जगहों पर जाया करते थे और एक बार गाना गाने की गुजारिश करते थे। ताकि उन्हें एक पहचान मिल सके।
वो बताते हैं कि अनुराग कश्यप से इंस्टाग्राम के जरिए बातचीत हुई। वहीं से उन्होंने नंबर लिया और बात हुई, कश्यप ने सीधा ऑफर किया अपनी फिल्म में गाना गाने का। इसके बाद दीपक ठाकुर ने अनुराग की फिल्म मुक्केबाज के लिए गाना गाया।
वो अपने सोशल मीडिया के स्टार बन चुके हैं और अपने गांव के हीरो भी। ज्यादातर समय मुंबई और दिल्ली में ही रहते हैं और दिन का ज्यादातर समय गाने के रियाज में ही बीतता है।