विस्तार
वाम मोर्चा के शासन वाले पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा में आज 59 विधानसभा सीटों के लिए वोट डाली गई। यूं तो राज्य में 60 सीट हैं लेकिन हाल ही में एक विधायक के निधन के कारण उस सीट पर मतदान 12 मार्च को होगा।
पूर्वोत्तर का होने के कारण इस राज्य पर राजनीतिक पंड़ितों और मीडिया की निगाहें कम ही जाती हैं लेकिन एक चीज है जो इस राज्य को थोड़ा बहुत चर्चा में बनाती है, वो हैं यहां के मुख्यमंत्री मणिक सरकार। उन्हें देश का सबसे गरीब मुख्यमंत्री कहा जाता है।
'गरीब' इस वजह से कि उनके पास दूसरे राजनेताओं की तरह मार बड़ी संपत्ति नहीं हैं। उनके नाम में तो सरकार जुड़ा है लेकिन वह खुद किसी आम आदमी सा जीवन व्यतीत करते हैं। यहां तक के उनके वीकिपीडिया पेज के हिसाब से जो जानकारी मिलती है उसके अनुसार तो वो अपनी तनख्वाह और भत्ते भी अपनी पार्टी को दान कर देते हैं।
कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि मणिक सरकार उस कम्यूनिस्ट राजनीतिक के सबसे उम्दा चेहरे हैं जो पूंजीवाद से दूर रहने का संदेश देती है। तो चलिए त्रिपुरा चुनाव के मौके पर हम आपको यहां के सीएम मणिक सरकार के बारे में कुछ काम की जानकारी दे देते हैं।
- 22 जनवरी 1949 को जन्में मणिक सरकार चार बार से त्रिपुरा के सीएम हैं। सबसे पहली बार वह 1998 में सीएम बने थे और उसके बाद से कुल चार बार राज्य की बागडोर संभाल चुके हैं।
-उनके पिता अमूल्य सरकार एक टेलर का काम करते थे जबकि उनकी मां अंजली एक सरकारी कर्मचारी थीं।
-बी कॉम की पढ़ाई के दौरान सरकार ने छात्र राजनीति में कदम रख दिया था। इसके बाद वह लेफ्ट की स्टूडेंट विंग स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया से जुड़े गए।
-31 साल की उम्र में वह अगरतला से पहली बार विधानसभा के लिए चुनकर आए। इसके बाद साल 1998 में हुए विधानसभा चुनावों में पार्टी ने उन्हें 49 साल की उम्र में राज्य की बागडोर सौंप दी। इसके बाद से वह लगातार चार बार राज्य के मुख्यमंत्री बन चुके हैं।
-राज्य की सबसे बड़ी कुर्सी तक पहुंचने के बाद भी मणिक सरकार का साधारण अंदाज आज भी जारी है। वह देश के अकेले मुख्यमंत्री हैं जिनके पास न अपना घर है और न कार। घर के रूप में आज भी उनके पास उनके दादा का पुस्तैनी मकान है। उसमें भी परिवार के बाकी सदस्यों का हिस्सा है।
-खास बात ये है कि मणिक सरकार मुख्यमंत्री के रूप में अपनी पूरी तनख्वाह और भत्ते अपनी पार्टी को सौंप देते हैं, जो बदले में उन्हें दस हजार रुपये खर्चे के रूप में देती है।
-हाल ही में उन्होंने चुनाव के लिए अपना नामांकन किया था, उन्होंने अपने खाते में जो रकम दर्शायी वो मात्र 3930 रुपए थी। उनकी पत्नी पांचाली भट्टाचार्य केंद्र सरकार की सेवानिवृत्त कर्मचारी हैं, उनके पास जरूर 20140 रुपए की रकम नकद है।
-पूरी तरह सादा जीवन जीने वाले मणिक फेसबुक और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया साधनों से दूर रहते हैं।
-आज भी लोग उन्हें अगरतला की सड़कों पर साइकिल से घूमते देख सकते हैं, उनकी पत्नी खुद सब्जी खरीदने बाजार जाती हैं।
-मणिक सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि त्रिपुरा से उग्रवाद को खत्म करने की मानी जाती है। 1998 में सरकार बनते ही उन्होंने इसके खिलाफ सख्त कदम उठाने शुरू कर दिए थे।
-सरकार के कदमों से राज्य में उग्रवाद फैलाने वाले ATTF और NLFT जैसे उग्रवादी संगठनों की कमर टूट गई।
-बताया जाता है कि त्रिपुरा की सीमा से लगते बांग्लादेश में बने उग्रवादी कैंपों को तबाह करने के लिए उन्होंने सुरक्षा बलों को वहां तक जाकर मार करने की छूट दी।
-जिसका असर ये रहा कि कुछ साल में ही त्रिपुरा से उग्रवाद पूरी तरह खत्म हो गया। हाल ही में त्रिपुरा से केंद्र का विशेष कानून अफ्स्पा भी हटा दिया गया।