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सरोगेसी पर कानून बनाने से क्या सच में लोगों की मदद हो सकेगी?

Apoorva Pandey/ firkee.in Updated Sun, 05 Mar 2017 11:43 AM IST
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s - फोटो : google
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सुबह से ही मीडिया में ये खबर चल रही है कि करन जौहर दो जुड़वां बच्चों के बाप बन गए हैं। ज़ाहिर है कि वो बेहद खुश होंगे और हम भी उन्हें इस मौके पर बहुत सारी बधाइयां देना चाहते हैं। इससे पहले तुषार कपूर सरोगेसी की मदद से पिता बने थे।

सरोगेसी को लेकर अब नया कानून आ गया है। कुछ समय पहले इस पर काफ़ी हो-हल्ला भी मचा था। इस नए कानून के मुताबिक़ अब विदेशी भारत में आकर सरोगेसी की मदद नहीं ले पाएंगे। ये बात कितनी सही है कितनी गलत इस पर तो हम कुछ नहीं कहना चाहेंगे लेकिन सरोगेसी को लेकर बात की जानी बहुत ज़रूरी है।
 

गुजरात में एक ऐसा अस्पताल है जहां महिलाएं बड़ी संख्या में सरोगेसी की प्रक्रिया में हिस्सा लेती हैं। ये महिलाएं अपने भावों को खुद से अलग रख कर ऐसा करती हैं। ये महिलाएं कहती हैं कि उन्हें किसी के लिए बच्चा पैदा करने में कोई दिक्कत नहीं है। इससे उन लोगों को फ़ायेदा मिलता है जो बच्चे पैदा नहीं कर सकते और इसके साथ ही उनकी भी आर्थिक मदद हो जाती है।

यहां कुछ महिलाएं ऐसी भी थीं जो 1 से अधिक बार सरोगेट मां बन चुकी थीं। इन महिलाओं का कहना है कि उन्हें अपने बच्चे से लगाव तो होता है लेकिन उन्हें ये बात पता है कि वो बच्चा उनका नहीं है। अब तक कितने ही लोग सरोगेसी का लाभ उठा चुके हैं लेकिन पिछले साल सरकार की इस पर नज़र पड़ गई और सरकार ने एक नया सरोगेसी बिल पेश किया।
 

इस बिल के अनुसार अब केवल भारतीय ही सरोगेसी का लाभ उठा सकेंगे। वो भी सिर्फ़ ऐसे दंपति जो किसी कारण वश बच्चे पैदा नहीं कर सकते। इस बिल में सरोगेसी को कानूनी रूप प्रदान किया गया है जो कि अब तक बिना किसी कानून के एक व्यापार के रूप में चल रहा था। अब दिक्कत ये है कि इस पूरे बिल में कहीं भी थर्ड जेंडर की बात नहीं की गई है।

इसमें ये नहीं बताया गया कि अगर कोई थर्ड जेंडर का कपल मां-बाप बनना चाहते हैं तो वो क्या कर सकते हैं। इसका भी एक कारण है कि हमारे देश में अभी ऐसे रिश्तों और शादियों को ही मान्यता प्राप्त नहीं है। ऐसे में कोई सिंगल पैरेंट अगर सरोगेसी की मदद लेना चाहता है तो उसके लिए कानूनी रूप से कोई प्रावधान नहीं है। हालांकि ये बिल अभी संसद में पारित नहीं हुआ है।
 

शायद यही वजह है कि करण जौहर ने वक़्त रहते ये फैसला ले लिया। अब अगर हम इस बिल की बात करें तो इसमें से थर्ड जेंडर का मामला निकालने के बाद इसके काफ़ी सारे फैसले सही मालूम पड़ते हैं। न जाने कितनी ही महिलाएं सरोगेसी की आड़ में ठगी जाती हैं। इस काम में बिचौलिए भी मुख्य भूमिका निभाते हैं। वो दंपतियों से तो काफ़ी ज़्यादा पैसे लेते हैं लेकिन मां बनने वाली महिलाओं को बहुत कम हिस्सा मिलता है।

सरोगेसी को लेकर बिल लाए जाने के पीछे का मुख्य कारण है महिलाओं के शोषण को रोकना। इसे कानूनी रूप देने से लोग सही तरीका अपना कर सरोगेसी की मदद ले सकेंगे और सरोगेट मां को भी उसके हक़ का पैसा मिल सकेगा। इसके बाद एक महिला कितनी बार सरोगेट मां बन सकती है ये भी निर्धारित किया जाएगा। 
 

सिर्फ़ पैसों के लिए बार-बार मां बनना बिल्कुल सही बात नहीं है। इससे महिलाओं के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। ऐसे में इस बिल के आने से काफ़ी सारे मसले हल हो जाएंगे। लेकिन वहीं दूसरी तरफ़ समाज के बदलते स्वरूप पर भी ध्यान दिया जाना ज़रूरी है। बहुत से लोग ऐसे हैं जो शादी नहीं करना चाहते लेकिन पैरेंट्स बनना चाहते हैं। इस बिल में उन लोगों के लिए भी कुछ होना चाहिए। सरकार को समझना होगा कि बदलते समय और बदलती ज़रूरतों के साथ पुराने कानूनों का बदला जाना भी बेहद ज़रूरी है।
 

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