Home Panchayat Massive Ransomware Infection Hits Computers In 99 Countries

'फिरौती' के लिए बंदूक ओल्ड फैशन, 'रैंसमवेयर' सबसे बड़ा हथियार, 100 देशों पर हमला

Updated Sat, 13 May 2017 09:36 PM IST
विज्ञापन
Massive ransomware infection hits computers in 99 countries
विज्ञापन

विस्तार

आज एक तरफ जहां दुनिया आतंकवाद, चरमपंथ, जलवायु परिवर्तन, गरीबी, भुखमरी और तीसरे विश्व युद्ध की संभावनाओं से जूझ रही है, ऐसे में साइबर अपराधों ने मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।

कंप्यूटर और इंटरनेट के जरिए किए जाने वाले अपराधों को ही साइबर अपराध या साइबर क्राइम कहते हैं। 

शुक्रवार को खबर आई कि हैकर्स ने अब तक के सबसे बड़े साइबर हमले को अंजाम दिया है, जिसकी चपेट में दुनिया के 99 देश आए। इतने बड़े पैमाने पर हुए साइबर हमले को नाम दिया गया 'रैंसमवेयर' अटैक। 

साइबर हमले का दंश शनिवार को आंध्र प्रदेश के पुलिस विभाग को झेलना पड़ा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चित्तूर, कृष्णा, गुंटूर, विशाखापट्टनम और श्रीकाकुलम जिले की 18 पुलिस यूनिट के कम्प्यूटर हैकर्स का शिकार हो गए। अब भारत समेत 100 देश अब तक के कथित सबसे बड़े साइबर हमले के शिकार हो चुके हैं। 

आखिर क्या है रैंसमवेयर अटैक और कैसे यह जरायम की दुनिया का नया फैशन बन गया है, आगे की स्लाइड्स में पढ़ें...

अंग्रेजी के रैंसम का मतलब 'फिरौती' होता है और 'वेयर' कम्प्यूटर के सॉफ्टवेयर से जुड़ा है। लेकिन ये वाला सॉफ्टवेयर 'मैलिसियस' है यानी जिसे आम भाषा में कहते हैं... वायरस, जो कम्प्यूटर के डेटा (फाइलों) को नुकसान पहुंचाता है। तो रैंसमवेयर का मतलब आप समझ ही गए होंगे। एक लाइन में कहें तो कंप्यूटर और उसकी फाइलों को हैक कर फिरौती मांगने के गोरखधंधे को ही 'रैंसमवेयर कहते हैं। 

मीडिया रिपोर्टेस के मुताबिक अमेरिका की नैशनल सिक्यॉरिटी एजेंसी की एक विशेष तकनीक पिछले दिनों इंटरनेट पर लीक हो गई थी, जिसका इस्तेमाल कर हैकर्स ने अस्पतालों, टेलिकॉम फर्मों और दूसरी कंपनियों निशाना बनाकर रैंसमवेयर अटैक को अंजाम दे डाला। यानी न चलाई बंदूक और दिखाई चाकू... फिरौती मांग ली। यानी जयारम (अपराध) की दुनिया में रैंसमवेयर एकदम नया फैशन हो चला है, जिसके लिए अपराधी कहीं जाते भी नहीं और फिरौती के रूप में डिजिटल करेंसी की मांग कर अपनी जेब भर लेते हैं।

जो 90 देश रैंसमवेयर अटैक से प्रभावित बताए जा रहे हैं, उनसे भी फिरौती के रूप में डिजिटल करेंसी मांगी गई।

यह भी पढ़ें- बारूद नहीं, रैंसमवेयर के ढेर पर दुनिया!, 10 आसान ग्राफिक्स में देखें कब हुए बड़े साइबर हमले!

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस रैंसमवेयर हमले से सबसे ज्यादा नुकसान ब्रिटेन और रूस को हुआ है। ब्रिटेन की नेशनल हेल्थ सर्विस (NHS) तो मानों ठप्प पड़ गई। अस्पतालों के जिन कम्प्यूटर्स में मरीजों के डेटा जमा थे, उन सब पर हैकर्स ने ताला लगा दिया और पैसों की मांग की। 
 
स्पेन, रोमानिया, पुर्तगाल में भी बड़े पैमाने पर हैकर्स ने रैंसमवेयर हमले किए।

सिक्यॉरिटी फर्म कैस्परस्की लैब और अवेस्टसेड ने इस हमले के लिए जिम्मेदार मैलवेयर की पहचान की है। 

ब्रिटेन के नेशनल साइबर सिक्यॉरिटी सेंटर की मानें तो महज 3 महीनों में ही 188 साइबर हमलों से देश दहला है। इसका एक कारण नेशनल हेल्थ सर्विस का कम बजट बताया जा रहा है, जिसके चलते कम्प्यूटर पुराने जमाने के ही चल रहे हैं और जिन्हें अपडेट नहीं किया जा सका है। 
 

भारत में अब तक इस अटैक के बारे में केस सामने नहीं आया है। सोशल मीडिया पर इस साइबर हमले को लेकर जोक्स भी चल रहे हैं, वहीं आईटी पेशे से जुड़े लोग और इस पर निर्भर कारोबारों से जुड़े लोगों में दहशत भी है।  

रैंसमवेयर की इतनी बड़े पैमान पर की गई वारदात से एकबात साफ है कि भविष्य में भी हैकर्स बड़े हमले को अंजाम दे सकते हैं। ऐसे हमलों की चपेट में न आएं इसके लिए जरूरी है कि कम्प्यूटर और इंटरनेट से होने वाले काम को बेहद सावधानी से करें। 

 
कम्प्यूटर में सेव जरूरी डेटा को अलग से एक हार्ड ड्राइव में जरूर स्टोर करके रखें, ताकि हैकिंग की स्थिति में हैकर्स को फिरौती की रकम न चुकानी पड़े।

सिस्टम अपडेट रखें। संदिग्ध ईमेल्स, वेबसाइट्स और ऐप्स से सावधान रहें। ऑफिशियल स्टोर से ही एप्स डाउनलोड करें।

लाइसेंस्ड एंटीवायरस का ही इस्तेमाल करें। कंप्यूटर समेत अपने सभी ऑनलाइन खातों का पासवर्ड बदलते रहें और उसे लंबा रखें।

विंडोज या एप्स के बारे में जब भी अपडेट्स आएं, उन्हें इंस्टॉल करें।

एक जरूरी बात ये... कि रैंसमवेयर अटैक का शिकार हो जाने पर फिरौती की रकम न दें, कानून की मदद लें और साइबर हमलों को लेकर भी अपडेट रहें। 
विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन

Disclaimer

अपनी वेबसाइट पर हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर अनुभव प्रदान कर सकें, वेबसाइट के ट्रैफिक का विश्लेषण कर सकें, कॉन्टेंट व्यक्तिगत तरीके से पेश कर सकें और हमारे पार्टनर्स, जैसे की Google, और सोशल मीडिया साइट्स, जैसे की Facebook, के साथ लक्षित विज्ञापन पेश करने के लिए उपयोग कर सकें। साथ ही, अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।

Agree