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हमारे देश में एक राज्य है - बिहार। जब किस्मत बंट रही थी तो ये उस लाइन में था जहां राहुल बुद्धि और तेज प्रताप यादव शिक्षा लेने गए थे। तीनों में से किसी को कुछ नहीं मिला।
बिहार की अंधेर नगरी में लालू यादव ने लालटेन जलाया और बिहार लालूमय हो गया। जैसे ही शाम होती, घरों के लालटेन जलते, लड़कियां चौखट के अंदर आ जातीं क्योंकि बाहर गूंडों का राज होता। लोग कहते हैं कि बहू-बेटियां घर में भी सुरक्षित नहीं थीं उस दौर में। फिर नितीश बाबू का सुशासन आया, लोगों को लगा कि हवा में गुंडागर्दी के अलावा ऑक्सीज़न भी है। नितीश बाबू लगातार चौके-छक्के लगाते रहे। जब देश को लग रहा था कि मोदी की लहर चल रही है तो भी नितीश ने बता दिया कि बिहार में न कभी मोदी चलेंगे और न फॉग चलेगा, अगर कोई चलेगा तो सिर्फ़ नितीश चलेंगे।
मोदी के खिलाफ़ खड़े होने के लिए साहब ने अपने धुर विरोधी से भी हाथ मिलाकर सबको चौंका दिया। लालू का गुंडाराज और नितीश का सुशासन एक साथ आ गया। सबको बताया गया कि -
फिर से एक बार हो, बिहार में बहार हो, नितीशे कुमार हो। लोगों ने मान लिया कि उनके पास इससे बढ़िया विकल्प नहीं है। सो नितीशे कुमार फिर से सिंहासन संभालने आ गए। साथ में लालू के बचवा लोग भी आए।
अब हो ये रहा है कि उसी बहारमयी बिहार में लड़कियां फिर से असुरक्षित हैं। घर से बाहर निकलती हैं तो रेप हो जाता है, घर में रहती हैं तो घसीटकर निकाला जाता है और रेप कर दिया जाता है। लड़कियां बनी किस लिए हैं? हाड़-मांस का लोथा ही तो हैं, उनके जन्म का उद्देश्य ही रेप-पीड़ित होना है। और रेप को पीड़ा से जोड़कर न देखा जाए। रेप होता है क्योंकि रेप होते देना ही उन लड़कियों का कर्तव्य है। वरना गांव-देहात की वो लड़कियां और किस काम आ सकती हैं भला। इतना भी न हो पाया तो कैसी बहार।
एक लड़की है, मोतिहारी के मधुवन गांव की। अभी 12 साल की है। बगीचे में गई थी आम लाने। दो 'मर्दों' ने इसे अपना जोश दिखाने के लिए सबसे अच्छा अवसर समझा, खींचकर ले गए और रेप कर दिया। 12 साल की बच्ची है। अभी-अभी उसके स्कूल में रिप्रोडक्शन वाला चैप्टर पढ़ाया गया होगा या पढ़ाया जाएगा। उसकी मां ने बताया होगा कि माहवारी जैसी भी एक चीज़ होती है। अभी वो ये सब समझने की कोशिश में उलझी होगी कि इन जोशीले लोगों ने उसे पकड़कर सबकुछ एक बार में ही समझा दिया। परिवार ने शिकायत दर्ज कराने की ज़ुर्रत की तो धमकियां मिलने लगीं कि बेटे को भी अगवा कर लिया जाएगा। लड़की को बहुत सारी चोटें आई हैं, ऑपरेशन किया गया है। अभी होश नहीं आया है।
अब आस-पास के 10 गांवों के लोग सोचेंगे कि भाड़ में गई 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' योजना। घर से बाहर जाना है तो भाई के साथ जाओ और जल्दी से शादी-ब्याह हो जाए ताकि 'इज़्ज़त' को लेकर मां-बाप की सांसें न अटकी रहें।
एक दूसरी घटना है, 17 साल की लड़की है। पूर्वी चंपारण के जुमईटोला गांव में रहती है। समीउल्लाह नाम का एक आदमी जिसकी उम्र करीब 26-27 वर्ष होगी उसका रेप करता है और उस रेप को अपने मनोरंजन का साधन बनाने के लिए वीडियो-क्लिप भी बना लेता है। वीडियो क्लिप के जरिए मनोरंजन से ज्यादा अगर कोई काम होता है तो वो है ब्लैकमेलिंग। लड़के का नाम समीउल्लाह है इस पर खूब बवाल हो सकता है, सियासत हो सकती है। पर ऐसी बहस में लड़की पीछे छूट जाती है। तो समीउल्लाह उसी वीडियो के ज़रिए लड़की को फिर से बुलाता है। लड़की जाती है, उसके पेनिस पर ब्लेड चला देती है।
निशाना बहुत ठीक नहीं बैठा और वो मर्द आ गया अपनी मर्दान्गी दिखाने पांच लोगों के साथ। परिवार के सामने लड़की को घर से बाहर घसीटकर ले गया, रेप किया। योनि में लकड़ी डाली और फिर पिस्टल की नली घुसेड़ दी। सब तमाशा देख रहे थे। पहले जब लड़की का रेप हुआ तो उसने मां से कहा, मां ने लड़के के यहां जाकर शिकायत की। पिट कर वापस आ गई। इस बार जब मामला पूरे गांव के सामने हुआ, पुलिस ने खूब कार्यवायी की। 11 तारीख को ये घटना हुई। पुलिस ने केस दर्ज किया और 22 तारीख को मेडिकल जांच के आदेश दिए। 11 तारीख के बलात्कार के बाद 22 तारीख को लड़की की योनि में सीमन ढ़ूंढ़ा जा रहा था। चोट ढूंढी जा रही थी।
बाद में मामला और 'साफ' हो गया। बताया गया कि इस लड़की का उस लड़के के साथ अफेयर था। मुझे अब समझ आया कि जिनका अफेयर होता है वो लोग घर से बाहर घसीटकर अपनी गर्लफ्रेंड के साथ सेक्स करते हैं।
दो लड़कियां हैं, बिहार के बहार का स्वाद चख चुकी हैं। अब वो घर से बाहर निकलेंगी तो लोग उनपर अगर बहुत मेहरबान हुए तो तरस ही खाएंगे और अगर नहीं हुए तो बद्चलन का ठप्पा तो है ही उनके माथे पर। क्या करने गई थी भरी दुपहरी में आम के बगीचे में? सुबह शौच के लिए जाती हैं तो रेप हो जाता है, दोपहर में आम लेने जाती हैं तो रेप हो जाता है और रात तो वैसे भी विश्व-विख्यात है रेप होने के लिए।
तो लड़कियों के लिए कोई वक्त नहीं होता, कोई घड़ी नहीं होती। उन्हें सुरक्षित रहना है तो तमीज़ से अपने घर में रहें। बाहर जाएंगी तो रेप होगा ही। घर ही लक्ष्मण रेखा है, बाहरी जगह तो रेप होने के लिए बना है। नितीश सरकार के डीएनए में लालटेन घुल गया है। अब सब ऐसे ही ठीक होता जाएगा। सरकारें आती हैं और चली जाती हैं। लड़कियों का भला हो पाना मुश्किल है। नितीश बाबू फक्र से बताते हैं कि मेहनती लोग हैं बिहार में। बिहारी हर जगह नाम रोशन कर रहे हैं। ये नहीं बताते कि बिहारी बाहर जाकर नाम रोशन कर रहे हैं। बिहार में सिर्फ़ लालटेन भर की रोशनी है।