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बंदर को इंसान के समतुल्य माना जाता है, अब तक इसे बताने वाली कई कहानियां लिखी जा चुकी हैं। अब कहानियां का कोई सबूत तो होता नहीं...इसलिए अक्सर लोग इस बात को मानने से इनकार कर देते हैं कि बंदर उनके पूर्वज थे। हालांकि पूर्वज वाली इस बात को खारिज करने वाले कई लोग खुद अपने चेहरे और भाव भंगिमाओं से बंदर के काफी नजदीक दिखाई देते हैं।
ऐसे ही लोगों की गलतफहमी दूर करने के लिए खुद बजरंगी भाई अस्पताल पहुंचे। चूंकि संविधान में बंदरों के लिए कोई नियम नहीं है इसलिए संविधान का सम्मान करते हुए लाइन को अनदेखा किया और बजरंगी भाई सीधे डॉक्टर के पास पहुंचे। पेट की शिकायत के बारे में बताया। इलाज में देरी हुई तो थोड़ा सुस्ताया भी। काम बहुत था इसलिए इंजेक्शन लगाने के बजाय सीधे ग्लूकोज की पूरी बोतल गटक डाली, ये कोई कल्पना नहीं बल्कि हकीकत है।
दरअसल श्रीनगर के एक अस्पताल में बंदर पहुंचा, ऐसा लग रहा था कि वो किसी लड़ाई में चोटिल हुआ था। बंदर सीधे सर्जरी वार्ड के नर्सिंग केबिन में घुस गया। चूंकि रविवार का दिन था इसलिए डॉक्टर मौजूद नहीं थे, लेकिन बंदर तो इलाज के मूड से आया था इसलिए लौटकर गया नहीं, बल्कि रुक कर बाकायदा इंतजार किया।
ऐसा होता देख वहां भीड़ जुट गई, मोबाइल कैमरों की फ्लैश लाइट से घिरा देखकर बंदर खुद को सेलिब्रेटी समझने लगा और वहीं लेट गया। कुछ देर बाद किसी ने केला खिलाया तो किसी ने उसकी चोट पर बीटाडीन लगाई। बंदर ने ये सब बड़े बेतकल्लुफी से करवाया, फिर भी थोड़ी कमजोरी महसूस कर रहा था इसलिए ग्लूकोज की बोतल उठाई और गटागट गटक गया और वहां से चलते बना।