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पुरानी फिल्में तो देखते ही होंगे आप? फिल्मों के नाम से बहुत से हीरो-हीरोइनें की तस्वीरें दिमाग में एकदम से तैर गई होंगीं। है न? यही बात तो है जो धर्म-कर्म के बाद सवा सौ करोड़ हिंदुस्तानियों को एक धागे में पिरो देती है, यानी हमारी फिल्में! सच पूछिए तो इन फिल्मों को पूरा करते हैं इनके विलेन यानी खलनायनक। भई खलनायक ही नहीं होगा तो नायक काम ही क्या करेगा। अब मान लीजिए कि शोले में गब्बर न हो तो जय-वीरू का क्या काम!
जेहन पर थोड़ा और जोर डालिए और याद करिए कि पुरानी फिल्मों में कुछ विलेन 'साइलेंट क्रिमिनल' होते थे। देखने में चिकने-चुपड़े हीरो माफिक... लेकिन हरकतें गुंडों वाली यानी पिता जी के पैसे अय्याशियों में धुआं-धुआं... सीधे कहें तो अमीर बाप के बिगड़ैल रईसजादे! गाल पर थप्पड़ खाने के बाद भी ये बदस्तूर पिता जी के पैसे उड़ाते थे, लेकिन सुधरते नहीं।
पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की इमेज भी बिगड़ैल रईजादे के जैसी उभरकर सामने आ रही है। हम केवल कयासबाजी कर रहे हैं, दावा पाकिस्तान में यातना झेल चुका एक पूर्व अमेरिकी एजेंट कर रहा है। अमेरिका की खुफिया एजेंसी CIA के लिए बतौर एजेंट काम करते रहे रेमंड डेविस ने एक किताब लिखी है- 'द कॉन्ट्रेक्टर'। इस किताब में डेविस ने दावा किया है कि शरीफ चचा दादा ट्रंप से पॉकेट मनी लेते रहेंगे लेकिन आचरण वैसे का वैसा रखेंगे, मसलन सुधरेंगे नहीं।
डेविस ने किताब में लिखा है कि पाकिस्तान अमेरिका को कभी न खत्म होने वाला एटीएम समझता है। यानी जब चाहें पाकिस्तान एटीएम से पैसे निकाल सकता है। मतलब अमेरिका पाकिस्तान के लिए किसी दुधारू गाय से कम नहीं।
कमाल की बात यह है कि अमेरिका पाकिस्तान का सच जानता है। अमेरिका लाख कहे कि पाकिस्तान अपनी सरजमी से चलने वाली आतंकी गतिविधियों के खिलाफ कार्रवाई करे, लेकिन नहीं... अंतर्राष्ट्रीय आतंकी घोषित हो चुके हाफिज सईद, सैयद सलाउद्दीन, अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम और हक्कानी नेटवर्क जैसे सपोलों को पालने पाकिस्तान का जैसे धर्म है।
जबकि यह बात अब सर्वमान्य भी है कि पाकिस्तान की सरजमी से चलने वाली नापाक हरकतों की वजह से पड़ोसी मुल्क दुनिया भर में अघोषिट टेरर स्टेट (आतंकी देश) समझा जाने लगा है। अमेरिकी संसद में एक नहीं, कई दफा पाकिस्तान की संदिग्ध छवि को लेकर सांसदों के बीच बहसें हो चुकी हैं और कइयों ने यहां तक कहा कि अमेरिका से पाकिस्तान को दी जाने वाली मदद एकदम बंद कर दी जाए।
अमेरिका अर्से तक पाकिस्तान को आतंकी समूह हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए करोड़ों रुपये देता रहा। लेकिन मन मुताबिक रिजल्ट न मिलने पर पिछले दिनों कुछ आर्थिक मदद पर रोक दी। लेकिन फिर भी अमेरिका पाकिस्तान को भूख और गरीबी से उबरने के लिए एक तय आर्थिक मदद देता है।
डेविस की किताब में किए गए दावे और खुलासे पर अमेरिका की पाकिस्तान को लेकर क्या कार्रवाई होगी, अब दुनिया भर की निगाहें इसी पर टिकी है। लेकिन यह बात जग जाहिर है कि अमेरिका भी पाकिस्तान को एशिया के देशों में एक टूल की तरह इस्तेमाल करता है। पाकिस्तान अगर आज अमीर बाप के बिगड़ैल रईसजादे की तरह व्यवहार कर रहा है तो कहीं न कहीं अमेरिका भी इसके लिए जिम्मेदार माना जा सकता है।