Home Panchayat Pandit Warn To Dalit That During Ramayan Path Stay Away With Temple

इस गांव में आज भी एलीट क्लास हैं भगवान राम, दलितों की No Entry!

Updated Wed, 23 Aug 2017 10:05 PM IST
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Pandit Warn to dalit that during ramayan path stay away with temple
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अस्सी और नब्बे के दशक की फिल्में देखी होंगी तो जरा उनकी कहानियों को अपने दिमाग में रिवाइंड कीजिए। गांव का वो साहूकार, जो गरीबों का खून चूसा करता था… गांव का वो पंडित, जो रीति रिवाजों के नाम पर अपने उल्लू सीधा किया करता था… कल्पना करने में कितना ऑकवर्ड फील हो रहा है, हम सोचते हैं कि अब का भारत कितना बदल गया है। टच स्क्रीन वाले मोबाइल, बिजली और मोटरसाइकिल गांवों तक पहुंच गए हैं। मेरा गांव तो हाइटेक हो गया है, लेकिन क्या वाकई ऐसा हुआ है। 

जो घटनाएं और किस्से आए दिन होते हैं उससे तो यही लगता है कि गांव सिर्फ संसाधनों के मामले में बदला है। रूढ़िवादी विचारों की जंजीरें अब भी गांव को आगे जाने से रोक रही हैं।ये सब सुनने में भले अजीब लगे, लेकिन कोरी सच्चाई। उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले के अंतर्गत आने वाले मौहादा कस्बे के गदाहा गांल में रामायण के पाठ को लेकर दलितों के खिलाफ तालीबानी फरमान जारी कर दिया गया। फरमान के मुताबिक दलितों को मंदिर में उस वक्त प्रवेश करना मना होगा जब मंदिर में रामायण का पाठ चल रहा होगा। 
 

टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक गांव में ऐसा फरमान पहली बार नहीं सुनाया गया है, इससे पहले भी गांव के धार्मिक अनुष्ठानों में दलितों के प्रवेश पर रोक लगाई जाती रही है क्योंकि उनका मानना है कि दलित गलत संयोग लेकर आते हैं। गांव की सोच पर शर्म भी आती है और हंसी भी। 

एक तरफ तो हम समाज और संस्कारों के साथ देश को बदलने की पैरवी कर रहे हैं तो दूसरी तरफ हमारी रुढ़िवादी सोच हमारी टांग खीचकर फिर उसी दल-दल में धकेल देना चाहती है जहां से हम निकलने की कोशिश ही कर रहे हैं। जिसको देखकर लगता है कि हम चाहकर भी आधुनिकता के कालीन पर चलेंगे तो रुढ़िवादिता के धब्बे हमारे पीछे-पीछे हमेशा चलते रहेंगे। 

जिस रामायण से दलितों को दूर किया जा रहा है उसी रामायण के राम ने कभी समाज से दूर हाशिये पर रहने वाली एक महिला के झूठे बेर खाए थे। सबरी के झूठे बेरों का किस्सा तो हम चटखारे लेकर सुनते हैं लेकिन भगवान राम की उस आदर्शवादी सोच को खुद में ढालने का प्रयास नहीं करते हैं। क्योंकि हम धर्म और जात-पात के उत्पात से बाहर निकल ही नहीं पा रहे, या यू कहें कि निकलना ही नहीं चाहते हैं।  

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