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ये तो सभी जानते होंगे कि पेरिस को दुनिया के सबसे सुन्दर नगरों में से एक और दुनिया की फ़ैशन और ग्लैमर की राजधानी माना जाता है। यहीं पर दुनिया की सबसे प्रसिद्ध अट्टालिका आइफिल टावर भी है। लेकिन हैरानी की बात ये है कि आखिर यहां पौधों की सिंचाई यूरिन से क्यों हो रही है?
दरअसल पेरिस के कई इलाकों में पैदल रास्तों और बस या स्टेशन के पास से गुजरना मुश्किल हो रहा था। पेशाब की बदबू से परेशान लोग उससे झुटकारा तो चाहते थे लेकिन शहर के प्रशासन को लंबे समय से इसका कोई अच्छा उपाय नहीं मिल रहा था। पेरिस में पहले से जगह जगह मुफ्त सार्वजनिक शौचालयों की व्यवस्था है। यह पूरी तरह स्वचालित हैं जहां हर बार इस्तेमाल के बाद अपने आप उनकी सफाई भी हो जाती है। इसके बावजूद कुछ कोने ऐसे बन गए थे जहां लोग बार बार पेशाब करते रहते थे...
इससे निजात पाने के लिए वैज्ञानिकों ने एक तरीका ढूंढ़ निकाला जो बेहद शानदार है। दरअसल घास में जाकर गिरने वाला मूत्र घास के साथ मिल जाता है और पौधे के साथ मिलकर वह कम्पोस्ट खाद बन जाता है, जिसे पार्कों में इस्तेमाल किया जा सकता है। चूकि घास में ज्यादा कार्बन होता है इसलिए मूत्र पड़ने पर बदबू भी कम आती है...
फ्रेंच भाषा में 'यूरीत्रोतॉयर' कहे जाने वाले ये इनोवेटिव टॉयलेट दो आकारों में बने हैं। इसका अर्थ होता है फुटपाथ का टॉयलेट। इसमें 600 लोगों तक के मूत्र को सोखने की क्षमता है। ऐसे हर टॉयलेट का दाम करीब 3,000 यूरो है। इसमें इलेक्ट्रॉनिक मॉनिटरिंग सेंसर लगे हैं, जो टॉयलेट के भरने पर सिग्नल दे देते हैं। फिर सफाईकर्मी इन्हें खाली कर सकते हैं। इसे 'फालटाजी' नाम की डिजाइन कंपनी ने बनाया है।
इसे बनाया है 45 साल के इंजीनियर लोराँ लेबो और विक्टर मसिपा ने। लेकिन यह तरीका कई सवाल भी खड़ा कर रहा है। क्या इस खाद को पार्कों में इस्तेमाल करना चाहिए! पार्क में लोग व्यायाम करने मनोरंजन करने और टहलने आते हैं। इस खाद को पार्क में इस्तेमाल करने का कोई फायदा नहीं है।
दूसरा यह कि क्या यह 'फूटपाथ टॉयलेट' सिर्फ पुरूष वर्ग के लिए ही है!