विस्तार
मैं यूपी रोडवेज की बस हूं।
कभी मेरे चेहरे पर भी नूर था।
आज मेरा हाल ऐसा है!
एक अर्सा हो गया ब्यूटी पार्लर गए हुए।
कभी सांसदों-विधायकों को भी मुझसे प्यार था।
उनके लिए मैंने आज भी सीट रिजर्व की है।
अब उनकी ऑडी-मर्सडीज मुझे मुंह चिढ़ाती हैं।
मेरे अपने छोटू (ऑटो) से मैं सस्ता सफर कराती हूं।
फिर भी लोग गरियाते मुझे ज्यादा है।
मुझे खरोच देतें हैं।
मेरा बदन न हो गया, पान-गुटके का पीकदान हो गया।
बाबा बंगालियों के इश्तेहारों के लिए मेरा ही बदन बचा है।
मेरा बदन झुलस रहा है।
मेरे शरीर में घाव हो रहे, जगह-जगह झुर्रियां हो गई हैं।
मैं बूढ़ी हो गई हूं।
मुझसे अब चला नहीं जाता।
पहले साइकिल वाली पार्टी के नेता थे तो भला मुझ पर क्यों नजरें-इनायत करने लगे।
नेता जी, बहन जी की सभाओं में मैं भर-भरकर गई।
योगी जी से मुझे शिकायत है।
योगी जी, मैं कब से कह रही हूं कि बीमार हूं।
मुझे डर है कि मेरे साथ ही कोई न निकल ले, सफर पर नहीं, अंतिम सफर पर।
मैं जवान थी तब मुझे लाज आती थी, अब मुझे अपनी दशा पर शर्म आती है, इसलिए मुंह नहीं दिखाना चाहती।
मेरे कदरदानों, चाहने वालों से मैं इतना ही कहना चाहती हूं, मुझसे इतनी मोहब्बत न करो, मैं अब रिटायर होना चाहती हूं।
मेरे बच्चों को अब अपना हुनर दिखाने दो,
और मेरी जो दूसरी बहनें हैं, उनका ख्याल रखना, समय पर ब्यूटी पार्लर भेजना।
मैं कहना तो नहीं चाहती, लेकिन सवाल अस्मिता से जुड़ा है, इसलिए कह रही हूं।
मेरी इज्जत करोगे तो आपका स्टेटस भी बदलेगा।
... और फिर सफर सुहाना लगेगा।
अब बात निकली है तो दूर तलक जानी चाहिए...
मुझे उम्मीद है कि आप मेरी बात खूब शेयर करेंगे
हर वक्त आपकी हमसफर रही
आपकी प्यारी रोडवेज बस!
मेरी बात शेयर करना न भूलें...