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भारत के विभागीय तंत्र में रेलवे एक ऐसा विभाग है जिसे उदार हृदय वाला करार दिया जाता है। रेलवे पर चढ़ने वाले यात्री और इसे चलाने वाली कर्मचारी, सिर्फ एक ही तलाश में रहते हैं… वो है मौका। इस ‘मौके’ की विस्तृत विवेचना की जाएगी लेकिन जरा उस रिपोर्ट पर भी नजरें डाल लीजिए जो सही मायने में रेलवे के भविष्य की एक झलक दिखा रही है।
दरअसल रेलवे ने अगले 3 सालों का ब्लूप्रिंट तैयार किया है। जिसके मुताबिक रेलवे के क्लास यात्री, जोकि एसी क्लास में सफर किया करते हैं, वो बिदक जाएंगे। रेलवे को अनुमान है कि अगले 3 सालों में ज्यादातर यात्री घरेलू उड़ानों की ओर रुख करेंगे। इस ब्लू-प्रिंट को लोगों की बदलती आदतों के आधार पर तैयार किया गया है। जिसके मुताबिक जो लोग पहले 800-1000 किलोमीटर के लंबे सफर पर विमान के विकल्प के बारे में सोचा करते थे। अब लोग 500 किलोमीटर के सफर पर भी विमान के तरफ रुख कर रहे हैं। हालांकि रेलवे के लिए ये परेशान करने वाली बात है लेकिन वो इस बात से खुश हो सकती हैं।
जिस ‘मौके’ वाली बात की चर्चा हम रिपोर्ट से पहले कर रहे थे। दरअसल वही ‘मौका’ भारतीय रेलवे की खुशी की वजह है। जाहिर है कि भारतीय रेलवे को अपने क्लास यात्रियों के जाने से नुकसान होगा लेकिन उन लोगों से राहत जरूर मिलेगी जो रेलवे की संपत्ति पर हाथ साफ कर लेते थे। मसलन एसी के कोचों से कंबलों का गायब होना, सीट के लिए दी जानी वाली चादरें गायब हो जाती हैं, ऐसे में जितना फायदा रेलवे को टिकट भाड़े से नहीं होता था उससे ज्यादा नुकसान तो एक सफर पूरा करने में हो जाता है।
रेलवे मंत्री सुरेश प्रभु के आदेश पर तैयार किए गए इस ब्लूप्रिंट में रेलवे के लिए एक बात मुफीद थी। किराए को लेकर वो विमान वालों से लड़ाई कर रहे हैं। कुल मिलाकर ये ब्लू-प्रिंट थोड़ी खुशियां और थोड़ा गम लेकर आया है। रेलवे वाले इसलिए खुश हो सकते हैं कि चलो बला टलेगी और पढ़ने वाले इसलिए खुश हैं कि शायद अब आसानी से टिकट मिल जाए।