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मुगलसराय जंक्शन इन दिनों सदमे में हैं। रातों रात उसका नाम जो बदल गया। मुगलसराय परेशान था उसकी परेशानी देख मिर्जापुर भी सदमे में है.. उसने घबराई हुई आवाज में पूछा क्या हमारा नाम भी बदल रहा है उपाध्याय जी? अब मुगलसराय चौंक गया पूछा ये उपाध्याय जी कौन है?
मिर्जा- भैया, आप ही हैं उपाध्याय जी...
अरे हां, हम तो भूल ही गए कि हम ही हैं उपाध्याय। हमारा नाम इज्जत से लो- दीनदयाल उपाध्याय।
मिर्जा- भैया, बात मत बदलिए जब आपका नाम बदल रहे थे तो क्या हमारी बात की भी चर्चा थी क्या!
भाई मिर्जा माफ करो.. मेरा जब नाम बदला जा रहा था तो मैं इतने सदमे में था कि मुझे सारे लोग आते-जाते बातें करते तो सुनाई दे रहे थे। लेकिन वो किस किस के नाम ले रहे थे साफ नहीं सुनाई दे रहा था।
मिर्जा भाई थोड़ा दम धरो...वहां बहुत शोर भी था। भाई शोर क्यों था? क्या अपने कोई और भी भाई थे वहां...नहीं, वहां सभी नाम बदलने के बाद तालियों से मेरा स्वागत करने लगे।
उसमें सबसे आगे थे अपने औरंगजेब भाई.. बोले आओ तुम हमसे ही तो थे, तभी हम बदल दिए जाने के बाद यहां आ गए थे तुम्हारे पास.. लेकिन अब चलो हम दोनों वापस चलें..
हम और औरंगजेब जब जाने लगे तो सोचा तुमसे पूछ लें कि कहीं तुम्हें भी चलना हो? चलो अच्छा लगा कि तुम अभी अपना पहचान के साथ बरकरार हो..
भैया आप दोनों जा रहे हैं ..मिर्जापुर ने ये कहते हुए मुगलसराय का हाथ पकड़ लिया, कहा भैया हम भी बहुत डरे हुए हैं। पता नहीं कब हम भी बदल दिए जाएं जरा रुक जाओ तो हम भी साथ चलेंगे...
तभी सात रेस कोर्स भी घूमते घूमते पहुंच कर ठहाका लगाते हुए बोले मिर्जा डरो मत...वो कहावत याद करो...
मिर्जा- कौन सी भैया...
7 रेस कोर्स- अरे वही बकरे की अम्मा कब तक खैर मनाएगी..देखो डिजिटल युग है...अब हम पुराने हो गए हैं..नए बच्चे हैं नया दौर है..एक एक कर सब बदले जाएंगे..क्या औरंगजेब, क्या मैं 7 रेस कोर्स, क्या मुगल...अब देखो कलकत्ता भाई भी तो कोलकाता हो गए थे...बैंगलोर बंगलुरु हो गया था..मद्रास -चेन्नै हुआ था..
ओड़िसा हांफता हुआ दौड़ता भागता हुआ पहुंचा...अरे हमें कहां छोड़े जा रहे हो...
7रेस कोर्स- अरे नहीं भाई तुम्हें कहां भूलेंगे...सुनो चेन्नै भाई तुम जरा लिस्टिंग करो कि कितनी सड़क, स्टेशन और गांव भाई निराश हैं नाम बदले जाने से...बहुत दिनों से राजनीति नहीं कि मन कहीं लग नहीं रहा है... ओडिसा भाई तुम जरा मुनादी कराओ... हम एक यूनियन बना रहे हैं... अब हम अपने नाम और अधिकार को लेकर सत्याग्रह करेंगे...
लेकिन मैं पहले बता दूं 70 साल से मैं देश चला रहा हूं.. जब से खाली हुआ हूं पागलपन हावी हो रहा है...इसलिए तुमलोग मुझे अपना नेता सदन मान लो तो मैं अगुआई करूं...
मुगलसराय को सांस आई- तो क्या हम अपना नाम वापस कराने के लिए जंतर मंतर पर धरना करेंगे...
7रेसकोर्स- कर दी न स्टेशन वाली बात..ये छोटे काम, गली मुहल्लो वालों के लिए छोड़ो, हम तो संसद घेरेंगे और हमारी मांग होगी कि हमारा नाम अगर कोई भूले से भी लेगा तो हमें टैक्स देगा.. हम इतनी आसानी से अपना हक नहीं छोड़ेंगे.. अगर किसी ने गलती से भी लोक मान्य मार्ग की जगह 7 रेस कोर्स कहा या फिर दीन दयाल उपाध्याय मार्ग की जगह मुगल सराय जंक्शन बुलाया...हम टैक्स लगा देंगे..
7 रेस कोर्स- क्यों आप सभी समर्थन करेंगे..
सारे एक साथ कोरस में..हां हां..हमें यलगार तो करना होगा...अब हमारा नाम न लिया जाए और अगर लिया जाए तो आदरसूचक शब्द मिस्टर और श्री का प्रयोग किया जाए...