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सिर पर गंदा, मैला कुचेला साफा, बदन पर सिकुड़ा हुआ धोती और कुर्ता और सैकड़ों झुर्रियों वाला मुर्झाया चेहरा... अमूमन अन्नदाता के नाम से हमारे जेहन में कुछ ऐसी ही तस्वीर उमड़ती है। यह तस्वीर हमारे देश के किसानों की है। उनकी, जो तपती दोपहरी और बर्फीली सर्दियों में नंगे पाव खेतों में फसल उगाने के लिए काम करते हैं। लेकिन अब एक बड़ी खबर है। खबर ये है कि अब अन्नदाता के नंगे पैरों में छाले नहीं पड़ेंगे, कपड़े खेत की धूल और मिट्टी से मैले कुचेले नहीं होंगे। सर्दी-गर्मी और बरसात के मौसम खेतो में काम करके नहीं कटेंगे। क्यों कि ये सब झेलने के लिए उनकी जगह अब रोबोट होंगे।
मतलब रोबोट्स खेती कर रहे हैं। अब भई रोबोट खेती करेंगे तो अन्नदाता... यानी किसान खेती के लिए तो नहीं मरेगा... हां, काम नहीं रहेगा, पेट नहीं भरेगा तो मर लेगा।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रोबोट्स ने खेती करके पांच टन जौ की फसल पैदा की है। रोबोट्स ने खेती का सारा काम खुद किया है...फसल की बुवाई से लेकर कटाई और फिर नमूने इकट्ठा करने तक।
अन्नदाताओं की जगह मशीनी अन्नदाताओं को लाने की इस मुहिम का उस समाज में जोर-शोर से स्वागत हो रहा है, जिसने फावड़ा, हल और खुर्फी किताबों में ही देखा है।
ब्रिटेन के हार्पर एडम्स विश्वविद्यालय के शोधार्थियों ने उम्मीद जताई है कि रोबोटिक तकनीक से फसल की पैदावार में इजाफा किया जा सकेगा और तेजी से बढ़ रही आबादी के सामने पैदा हो रहे खाद्य संकट से निपटा जा सकेगा। लेकिन सही बात भगवान जाने...!
रोबोट्स द्वारा की गई खेती में मशीनों और ड्रोन्स को सॉफ्टवेयर से कंट्रोल किया गया। मशीनों में एक ट्रैक्टर भी शामिल रहा। वाहनों को जीपीएस से जोड़ा गया था।
मशीनों और वाहनों ने ठीक वैसे ही काम किया जैसा उन्हें निर्देश दिया गया था। फिलहाल खबर ये हैं अब बड़े स्तर पर रोबोट्स के जरिये खेती करने की तैयारी हो रही है।
अगर सब कुछ वैज्ञानिकों के अनुरूप हुआ तो आने वाले समय में अखबारों में खबरें कुछ इस प्रकार होंगीं-
पावर बैकअप न मिल पाने कारण खेत में काम कर रहे रोबोट ने दम तोड़ा
नए रोबोट्स के आने से गांव में दम तोड़ रहे सस्ते रोबोट
मेंटिनेंस न मिल पाने के कारण जंग खा रहे रोबोट ने की आत्महत्या
भारतीय रोबोट्स से अच्छी खेती करने के लिए लंदन के रोबोट्स को मिला इनाम
फलां पार्टी ने चुनावी घोषणापत्र में सस्ती दरों रोबोटिक सर्विस देने का किया एलान