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हिंदी दिवस पर फिरकी खास: ...जब बड़े से बड़ा अंग्रेज बोलने लगता है हिंदी

Updated Thu, 14 Sep 2017 04:02 PM IST
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Situations when even an Englishman speakes Hindi
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विस्तार

हिंदुस्तान में अंग्रेजी का क्रेज अंग्रेजों के जाने के बाद जैसे बढ़ गया। कोर्ट कचहरी से लेकर हर दफ्तर में लिखने-पढ़ने की भाषा अंग्रेजी हो गई। यहां तक की हिंदी पट्टी की बसों में टिकट भी अंग्रेजी में ही छपा होता है। गांव का कउआ भी अगर अंग्रेजी में कांव कर दे तो उसके प्रति भी लोगों में आकर्षण देखते ही बनता है। अंग्रेजी के चार शब्द टिपिर-टिपिर करने पर जैसे लोगों में किसी अंग्रेज अफसर की आत्मा घुस जाती है, ऐसा महसूस होता है। लेकिन कितना भी बड़ा अंग्रेज हो (ये वाला हिंदी पट्टी का), कुछ परिस्थितियां ऐसी होती हैं जब वह हिंदी में अपने आप आ जाता है। हिंदी दिवस पर खास हम ये परिस्थियां यहां गिना रहे हैं। अगर आपके पास भी कुछ सुझाव हों तो हमारे कमेंट्स बॉक्स में साझा करें।

सोते से जगाने पर 
लड़का चाहें थ्रो आउट कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ा हो। उठते-बैठते अंग्रेजी ही बोलता हो। लेकिन अगर उसका वास्ता किसी हिंदी पट्टी के इलाके से है तो सोते से जगाने पर वह सबसे पहले जो बोलेगा, वह हिंदी में ही होगा। अब इस बात पुष्टि करने के लिए आप जानबूझकर ऐसा मत करना। वरना गालियां खाने का जोखिम हो सकता है। 

गुस्से में
गुस्सा उगलने के लिए भी सबसे मुफीद हिंदी ही होती है। गालियां जितनी कायदे से लोग हिंदी में देते हैं, अंग्रेजी में शायद ही दे पाएं।

ब्रेथ टेकिंग एक्सपीरियंस
अचानक मरने से बच जाएं तो मुंह से हिंदी है निकलती है। ... और पहले शब्द मम्मी... पापा... हे भगवान आदि होते हैं। 

पुलिस वाले के सामने
कितना भी बड़ा हिजाइनेस हो, पुलिस का डंडा चलने पर हिंदी में आ जाता है। चौराहे पर चालान कटने पर पहला वाक्य निकलता है, अरे साहब कुछ बीच का रास्ता निकाल लीजिए न?

कुटाई के वक्त
हिंदुस्तानी लड़कों में एक बात कॉमन होती है कि उम्र के एक पड़ाव पर उनकी कुटाई बहुत होती है। चाहे स्कूल में हो, घर में हो या लड़की को छेड़ते वक्त... मुंह से अंग्रेजी नहीं, हिंदी ही निकलती है। 

मंदिर में
मंदिर में भगवान के सामने हाथ जोड़कर हिंदी में जितने अच्छे से मन्नत मांगी जा सकती हैं, वह शायद अंग्रेजी में संभव नहीं। ...और फिर हमारे भगवान भी कहां अंग्रेजी में समझते हैं।

फुफा को मनाते समय
भारतीय शादियों में भी एक बात कॉमन होती है कि किसी ने किसी वजह से फूफा रूठ जाते हैं। ऐसे में रूठे फूफा को मनाने के लिए हिंदी ही काम आती है।

ऑटो वाले से खुल्ले पैसों की नोकझोंक के वक्त
आप मर्सडीज ही क्यों न खरीद लें, लेकिन जब ऑटो से चलें और ऑटो वाले के पास आपको लौटाने के लिए दो-एक रुपये खुल्ले कम पड़ जाएं तो उस वक्त ड्राइवर से आप नोकझोंक अंग्रेजी नहीं, हिंदी में ही करते हैं।

गोलगप्पे का पानी मांगते वक्त
गोलगप्पे खाते हैं तो बाद में पानी और पापड़ी मांगने की आदत आपकी न हो, ऐसा हो ही नहीं सकता। ऐसे वक्त में हिंदी ही सबसे मुफीद भाषा होती है। बोलना सिर्फ इतना होता है- भईया जरा पानी देना और एक पापड़ी।

जब कुत्ता पीछे पड़ जाए
कितना भी बड़ा अंग्रेज क्यों न हो, कुत्ता पीछे पड़ जाए तो आदमी के मुंह से हिंदी ही निकलती है।

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