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पहले कहा जाता था कि इंडिया के लोग बहुत आशावादी होते हैं कुछ भी होगा लोग चुपचाप बर्दाश्त कर लेंगे लेकिन सोशल मीडिया युग के आने के बाद सब बदल गया। अब कहीं भी कुछ भी अटपटा दिखता है तो लोग शूट कर लेते हैं, फोटो खींच लेते हैं। सोशल मीडिया को लोगों ने पंचिंग बैग बना रखा है। सरकार से लेकर सिस्टम और सिस्टम से लेकर संस्कार तक सिर्फ और सिर्फ गुस्सा दिखाई देता है। लगता है जैसे कि लोगों ने खुश रहना ही छोड़ दिया है। इसी चक्कर में अपन हिंदुस्तानी लोग हैप्पीनेस इंडेक्स में सरकते जा रहे हैं। स्वीडन को देखों, वो 9वें नंबर पर कितने खुश है।
स्वीडन वाले हर बात में खुश रहने का बहाना ढूंढते हैं। पिछले हफ्ते वहां जमकर बारिश हुई, बारिश का पानी सब जगह भर गया। जो जहां था वो वहीं फंस गया लेकिन वहां के लोगों ने वहां भी हंसने और खुश रहने का बहाना ढूंढ लिया।
रेलवे स्टेशन पर पानी भरा तो लोग नाराज होकर बड़बड़ाने नहीं लगे बल्कि पानी में छलांग लगाकर स्वीमिंग करने लगे। स्वीडन के उप्साला स्टेशन पर बारिश के पानी में लोग खेलने लगे। कुछ लोगों ने इसके वीडियो बनाए तो पूरी दुनिया में इसकी चर्चा होने लगी।
हमारे यहां ऐसी स्थिति में अफरा तफरी मच जाती है। जो जहां फंसा है वो वहीं रह जाता है और गुस्से में छनछना रहा होता है। मदद के लिए कोई और नहीं आता बल्कि मीडिया वाले माइक और कैमरे के साथ पहुंच जाते हैं। स्वीडन में उल्टा हुआ। लोग बारिश का मजा लेने के लिए घर से स्वीमिंग का सामान लेकर पहुंचने लगे। ऐसा लग रहा था कि मानों लोग पिकनिक मनाने के लिए आए हैं।
इस पूरी मौज मस्ती में वहां के प्रशासन के हाथ पैर फूले हुए थे। उन्हें डर था कि कहीं बारिश के पानी में इलेक्ट्रिक करेंट न दौड़ जाए। लिहाजा लोगों को बाहर निकालने की कोशिश चल रही थी। लेकिन लोग बाहर निकलने के मूड में बिल्कुल नहीं थे। आखिर में पंप चलवा कर पानी निकलवाया गया तब जनता वहां से हटी। वरन लोग तो घर जाने के विचार में ही नहीं थे।