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मध्य प्रदेश का क्या कहना हर मामले में है नंबर वन, चाहे सफाई हो या महिलाओं से छेड़छाड़

टीम फिरकी, नई दिल्ली Updated Thu, 12 Jul 2018 04:31 PM IST
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मध्य प्रदेश तो साहब अव्वल ही था, अव्वल ही है और हमेशा अव्वल ही रहेगा। मध्य प्रदेश का मतलब अव्वल प्रदेश... किसी भी मामले में ले लो मध्य प्रदेश का अपना कोई सानी नहीं है। स्वच्छता के मामले में स्वच्छ सर्वेक्षण 2018 की रिपोर्ट में मध्य प्रदेश का इंदौर शहर नंबर एक पर कब्जा जमाए हुए है तो वहीं दूसरे नंबर पर भी मध्य प्रदेश का ही भोपाल लगातार दो साल से भारत का दूसरा सबसे स्वच्छ शहर का तमगा हासिल किए हुए है। देश के टॉप 3 साफ सुथरे शहरों में अपने राज्य के शहरों का नाम दर्ज होने से सूबे के मुखिया की पौ बारह हो रखी है। स्वच्छता अभियान की जमीनी हकीकत जानने के लिए ही हर साल क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया की ओर से स्वच्छता सर्वेक्षण किया जाता है। भारत के 100 स्वच्छ शहरों में 22 अकेले मध्य प्रदेश के ही शहर हैं ये तो अपने आप में अद्वितीय है। ये तो रही साहब स्वच्छ भारत में मध्य प्रदेश की रैंकिंग की बात।

अब दूसरा पहलू समझिए यहां भी अव्वल है अपना मध्य प्रदेश... बालिका हितैषी योजनाओं के कारण देश-दुनिया में पहचान बना चुके एमपी में बालिकाएं और महिलाएं देश में सबसे ज्यादा असुरक्षित हैं। रिपोर्टों ने एमपी को महिलाओं की सुरक्षा के लिए कठघरे में खड़ा किया है। मध्य प्रदेश में पिछले 120 दिन में 1,554 रेप के मामले दर्ज किए गए हैं, यानी हर दिन 13 दुष्कर्म के मामले हुए हैं। साल 2018 ही की बात की जाए तो एक जनवरी से 30 अप्रैल तक सिर्फ चार महीनों में महिलाओं, नाबालिगों से 1,554 ज्यादती के मामले दर्ज किए जा चुके हैं। सिर्फ 120 दिनों में दर्ज हुए इन आंकड़ों के विश्लेषण से सामने आया कि हर दिन करीब 13 रेप की घटनाएं प्रदेश में हो रही हैं। सबसे ज्यादा भोपाल में रेप के केस दर्ज किए गए हैं। इसके बाद इंदौर में 82, जबलपुर में 72 और ग्वालियर में 69 मामले सामने आए हैं।

मध्य प्रदेश में बालिका जन्म को प्रोत्साहित करने से लेकर महिला सशक्तिकरण के लिए लाडली लक्ष्मी योजना, लाडो योजना, मुख्यमंत्री कन्यादान योजना, मुख्यमंत्री साइकिल योजना, महिलाओं की सुरक्षा के लिए डायल-100, शक्ति स्क्वाड, महिला पीसीआर, वी केयर फॉर यू, महिला थाना व अन्य फोरम तो संचालित हैं इसके साथ ही युवतियों को आत्मसुरक्षा के लिए सक्षम बनाने के लिए शौर्या दल बनाए जा रहे हैं... पर विंडबना तो देखिए कि फिर भी महिला सुरक्षा पर हम अव्वल ही हैं... आंकड़ों से मुंह तो नहीं मोड़ सकते हैं न।

मध्य प्रदेश के पर्यटन विभाग के मशहूर विज्ञापन की पंचलाइन ‘एमपी अजब है, सबसे गजब है’ ये बात वाकई सच साबित हो रही है। मध्य प्रदेश पुलिस ने डायल 100 को लेकर जो आंकड़े पेश किए हैं वो भी चौंकाने वाले हैं। आज बदलते ट्रेंड में पत्नियों द्वारा पति के पीटने के मामलों की बढ़ोत्तरी में भी मध्य प्रदेश अव्वल है। कुछ वर्ष पूर्व शुरू की गयी सेवा 'डायल 100' के जनसंपर्क अधिकारी हेमंत कुमार शर्मा ने इस सेवा पर मिली शिकायतों के आधार पर कहा कि मध्यप्रदेश में औसतन हर माह 200 पतियों की अपने ही घर में पत्नियों से पिटाई हो जाती है।

देश प्रगति कर रहा है, सड़कें बन रही हैं और उस पर विदेशी गाड़ियां दौड़ रही हैं। हम हर क्षेत्र में रोज विकास के नए आयाम गढ़ रहे हैं। महिलाओं के उत्थान और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की बात भी कर रहे हैं पर रिपोर्टों के आँकड़े देश को आईना दिखाते हैं तो शर्म आती है हमे कि हम किस दर्जे के अव्वल हैं। प्रगति के पथ पर आगे बढ़ते हुए हम कौन से अव्वल हैं इस बात पर विचार करना जरूरी है।

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