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अगर नोट बंदी का सबसे ज़्यादा असर किसी पर पड़ा है तो वो है आम जनता। 50 दिन क्या अगर 1 साल भी वक्त रहता तब भी नोट बदलने में दिक्कत होती ही। सरकार के इस फैसले से तो सहमत हम भी हैं लेकिन इस बात में भी कोई हर्ज़ नहीं कि जिसके पास काला धन नहीं है वही लाइन में खड़ा है। सरकार ने भले ही नोट बंदी को लेकर पहले से एक ढांचा तैयार किया हो लेकिन हमारे लिए तो यह एक बिना बताए होने वाले हॉर्ट अटैक की तरह ही है। एकदम सारा काम ठप सा हो गया है। कैश ही सबको चाहिए, और कैश में 500, 1000 के नोट ही बंद है। थोड़ा नहीं बहुत असर पड़ा है आम लोगों पर। हम मोदी जी का साथ तो दे ही रहे हैं। लेकिन 2000 के नोट आने के बाद क्या गैरेंटी है कि भ्रष्टाचार ख़त्म ही हो जाए।
जिनके पास काला धन नहीं है वो भी अपनी मेहनत की कमाई को ज़ाया होने से रोकने के लिए दिन-दिन भर लाइन में खड़े हैं।