झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजे अब तक सामने आए हैं, उसके मुताबिक राज्य में बीजेपी को महागठबंधन (जेएमएम, कांग्रेस, आरजेडी) के हाथों करारी शिकस्त मिली है। इस हार की जिम्मेदारी लेते हुए राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि यह बीजेपी की नहीं बल्कि उनकी हार है।
वैसे देखा जाए तो अपने यहां एक कहावत बहुत प्रचलित है कि इतिहास चाहे कैसे भी खुद को दोहराता जरूर है, ये कहावत इस बार के झारखंड चुनाव में देखा गया, जहां साल 1995 में रघुवर दास जिस नेता को जमशेदपुर से हराकर पहली बार विधायक बने थे वो दीनानाथ पांडे थे।
उस समय में दीनानाथ पांडे वहां के कद्दावर नेता थे लेकिन अहंकार और बुरे बर्ताव की वजह से उन्हें बीजेपी ने 1995 में टिकट देने से इनकार कर दिया और उनकी जगह रघुवर दास को मैदान में उतार दिया। भाजपा की इस बात से बुरी तरह नाराज होकर दीनानाथ पांडे बीजेपी के उम्मीदवार रघुवार दास के खिलाफ उसी सीट से मैदान में उतर गए लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
वहीं अगर इस बार देखा जाएं तो जमशेदपुर पूर्व सीट से सरयू राय ने मुख्यमंत्री रघुवर दास को बड़े अंतर से हराया। अगर बात करे शुरूआती रुझानों की तो रघुवर दास कुछ समय के लिए सरयू राय से कुछ समय के लिए आगे निकल गए थे, लेकिन पूरी गिनती होने तक पासा एकदम से पलट गया और सरयू राय ये चुनाव बड़े अंतर जीत गए।
चुनाव से पहले सरयू राय ने भाजपा से जमशेदपुर पश्चिम का टिकट मांगा था जो उन्हें नहीं मिला, जिस कारण सरयू राय चुनाव से ठीक पहले बागी हो गए और उन्होंने निर्दलीय ही मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ पर्चा भर दिया।