Home Photo Gallery Feminism Know About Founder Of The Metoo Movement Tarana Burke

इस महिला के दो शब्दों से पूरी दुनिया में मच गया हड़कंप, हिल गईं कई देशों की सरकारें

टीम फिरकी, नई दिल्ली Updated Sat, 13 Oct 2018 01:12 PM IST
विज्ञापन
#MeToo founder
#MeToo founder
विज्ञापन

विस्तार

आजकल सोशल मीडिया पर #मीटू या #MeToo लिखकर महिलाएं अपने साथ यौन शोषण की सालों पुरानी आपबीती सुना रही हैं। इस #मीटू की वजह से कई फिल्मी सितारे, लेखक और नेता बेपर्दा हो रहे हैं। पढ़िए #मीटू अभियान कहां से, कैसे आया और क्या है पूरी कहानी। 
 
 

‘मी टू’ यानी ‘मैं भी’, यह शब्द 2006 में सबसे पहले सामने आया और 2017 में इसने (#MeToo) सोशल मीडिया पर एक आंदोलन बना। अमेरिका की सामाजिक कार्यकर्ता तराना बुर्के ने महिलाओं के साथ होने वाले यौन उत्पीड़न के खिलाफ 2006 में आवाज उठाई। तराना बुर्के एक्टिविस्ट होने के साथ ही वकील भी हैं। उस समय तराना बुर्के ने दुनिया भर की महिलाओं से अपील की कि अगर वो भी इसकी शिकार हैं, तो मी-टू शब्द के साथ इस पर खुल कर बात करें।

 
6 साल की उम्र में यौनशोषण की शिकार हुई थीं तराना बुर्के। #MeToo की शुरुआत करने वाली तराना बुर्के खुद भी यौनशोषण की शिकार हो चुकी हैं। वह जब 6 साल की थीं, तब उन्हें इस दर्दनाक अनुभव का सामना करना पड़ा। तराना बुर्के का यौनशोषण उनके पड़ोसी ने किया था। युवा अवस्था में उन्हें रेप की भयावहता से भी गुजरना पड़ा। वह इस दर्द को जानती हैं। 

 
अफ्रीकी मूल अमेरिकी नागरिक तराना बुर्के ने 2006 में महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए हैशटैग मीटू बनाया। तराना बुर्के कहती हैं कि वह अश्वेत महिलाओं के यौनशोषण की घटनाओं से बेहद आहत थीं। वह उनके लिए कुछ करना चाहती थीं। उस समय मायस्पेस नाम से एक सोशल मीडिया पेज एक्टिव था। यौनशोषणा की शिकार महिलाओं को आवाज देने के लिए इसी प्लेटफॉर्म पर टराना बर्क ने पहली बार #MeToo का प्रयोग किया था।

#MeToo के तहत सबसे पहले एक बच्ची के यौनशोषण की कहानी सामने आई थी। तराना बुर्के ने बताया कि वह एक कैंप में लोगों से मिलने के लिए गई थीं। इस दौरान उन्हें एक बच्ची का बर्ताव बेहद अजीब लगा। तराना बुर्के ने बच्ची से इस बारे में बात की तो पता चला कि उसकी मां का बॉयफ्रेंड उसका यौनशोषण कर रहा था। इस बच्ची की कहानी सुनकर तराना बुर्के के जेहन में दो शब्द आए MeToo, जो बाद में पूरी दुनिया की महिलाओं के लिए दर्द बयां करने वाला हैशटैग बन गया और अब यह अभियान बन चुका है।
हैशटैग #मीटू को टाइम पत्रिका ने ‘पर्सन ऑफ द ईयर 2017’ घोषित किया था। टाइम पत्रिका ने महिलाओं के साथ हुई यौन प्रताड़ना, हिंसा और शोषण के दोषी लोगों के नाम उजागर करने वाले इस हैशटैग को अभियान बनाने में जुटे लोगों को ‘द साइलेंस ब्रेकर्स’ नाम दिया। टि्वटर से शुरू हुआ यह अभियान बाद में सोशल मीडिया के कई प्लेटफार्म पर जारी रहा, जो इस समय भारत में सोशल मीडिया पर छाया हुआ है।

देखते ही देखते 85 देशों में इस हैशटैग के साथ प्रतिक्रियाएं व्यक्त की जा रही हैं। भारत, पाकिस्तान, ब्रिटेन, फिलीपींस, चीन आदि कई देशों में लोगों ने नामजद अनुभव शेयर किए। यूरोप की संसद में #MeToo के अभियान के जवाब में एक सत्र बुलाया गया। ब्रिटेन में #MeToo के आधार पर लगी शिकायतों पर जांच अधिकारी बिठाए गए। संभवता भारत में संसद के शीतकालीन सत्र में भी #MeToo पर मुद्दा गरम रह सकता है। 

विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन

Disclaimer

अपनी वेबसाइट पर हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर अनुभव प्रदान कर सकें, वेबसाइट के ट्रैफिक का विश्लेषण कर सकें, कॉन्टेंट व्यक्तिगत तरीके से पेश कर सकें और हमारे पार्टनर्स, जैसे की Google, और सोशल मीडिया साइट्स, जैसे की Facebook, के साथ लक्षित विज्ञापन पेश करने के लिए उपयोग कर सकें। साथ ही, अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।

Agree