महाराष्ट् की राजनैतिक अखाड़े में दलों की उठा-पटक जारी है। महाराष्ट्र और पूरे देश की जनता को भले ही परेशान हो की यहां कब एक अस्थिर सरकार आएगी लेकिन इस राजनैतिक लड़ाई का फायदा जयपुर की जनता को मिल रहा है। अब आप ये बात जरूर सोच रहे होंगे कि भला महाराष्ट्र की राजनीति से राजस्थान का क्या कनेक्शन है? चलिए हम भी बातों के बताशे न बनाकर आपको समझाते है क्या है पूरा मसला...
दरअसल बात कुछ यूं है कि महाराष्ट्र के 44 विधायकों को जयपुर से 20 किलोमीटर दूर एक ग्रामीण इलाके के रिजॉर्ट में ठहराया गया था उस रिजॉर्ट तक पहुंचने के लिए जो सड़क थी वो जयपुर जिले के आमेर तहसील के चार गांवों से होकर गुजरती थी।
इस गांव की सड़क में इतने गड्ढे थे कि कोई आदमी शाम ढलने के बाद अपनी गाड़ी लेकर यहां से निकलने में डरता था। सूरज ढ़लते ही अंधरे के कारण दूर-दूर तक कुछ नहीं दिखाई देता था। मगर जब महाराष्ट्र के विधायकों को इस रिजॉर्ट में लाने की बात चली तो राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनके सरकार में कुछ मंत्रियों को विधायको की सेवा से पहले इस रिजॉर्ट पर आना पड़ा।
इस रिजॉर्ट में आने के लिए जब मंत्रियों की गाड़ी रास्ते में गड्ढों के कारण हिचकोले खाने लगी और रात के अंधेरे में धूल में गाड़ियों की लाइटें भी डबडबाने लगी तो उन्हें ये बात समझ आ गई की यहां जीना कितना मुश्किल है।राजस्थान के मंत्रियों ने सोचा अगर पड़ोसी राज्य से आने वाले विधायक गांव की ऐसी दुर्दशा देखेंगे तो हमारी क्या इज्जत रह जाएगी, ऐसे में न जाने पांच दिनों में कहां से बजट आया और किसने अप्रूव किया, रात-दिन अधिकारियों ने एक करके आड़े तिरछे लगे खंभों पर एलईडी ट्यूबलाइट लगा दी।
गांव में बिजली के झूलते तारों को ठीक कर दिया गया। इन गांवों में कभी स्ट्रीट लाइट नहीं लगी थी, लेकिन रविवार को साढ़े चार किलोमीटर के रास्ते पर दोनों तरफ रोड लाइट लगा दी गई। गांवों में पीने के पानी की किल्लत से लोग परेशान थे, रविवार को यहां ट्यूबवेल खुदवाया गया।
टैंकरों से पानी की सप्लाई भी की जा रही है। यहां चारों तरफ कचरा फैला रहता था, लेकिन शनिवार से ही दिन-रात जयपुर नगर निगम के सफाईकर्मी यहां डटे हुए हैं। हपूर से दिन में दो बार कचरा उठाया जा रहा है। महाराष्ट्र की सियासत के केंद्र बने पीली तलाई गांव के रिसोर्ट के बाहर सार्वजनिक निर्माण विभाग, जलदाय विभाग, विद्युत वितरण निगम, नगर निगम सहित कई सरकारी महकमों के अधिकारी शनिवार सुबह से ही तैनात रहे।
मीडिया से बात करते हुए गांव वाले कह रहे हैं कि हमने आज तक कभी सड़क नहीं देखी थी, इस इलाके में कभी रोड लाइट नहीं देखा था. बड़े-बड़े गड्ढे हो गए थे। रात को निकलने में डर लगता था कि गाड़ी हादसे का शिकार हो जाएगी, मगर जब विधायक आए हैं और मंत्री आ रहे हैं तो दिन-रात काम चल रहा है।