हर जगह की एक अलग परंपरा होती हैं। कई परंपराएं ऐसी होती हैं जिसे सुनकर हम और आप हैरान भी हो जाते हैं और कभी-कभी सहम भी जाते हैं। ऐसी ही एक परंपरा है जिसे पीढ़ियों से निभाया जा रहा है। इस परंपरा के बारे में जानकर आप हैरान हो सकते हैं। दरअसल, गुजरात-राजस्थान सीमा से दो किलोमीटर की दूरी पर मौजूद साबरकांठा जिले के पोशिना तालुका का यह गांव अपनी अलग परंपरा के लिए जाना जाता है।
इस परंपरा को चडोतरु के नाम से जाना जाता है। आदिवासी इलाकों में इंसाफ मांगने के लिए शवों को लटकाया जाता है। इस परंपरा के अनुसार जब किसी भी व्यक्ति की मौत अप्राकृतिक तरीके से होती है तो आरोपियों द्वारा मुआवजे की मांग की जाती है। मुआवजे का जो पैसा मिलता है उन्हें पीड़ित परिवार और समुदाय के नेताओं में बांटा जाता है।
बता दें कि यह परंपरा डुंगरी गरासिया भील आदिवासियों में प्रचलित है। गुजरात के एक गांव टाढ़ी वेदी में पिछले छह महीने से एक शव पेड़ पर लटका हुआ है। यह शव भातियाभिया गामर का है। भातियाभिया गामर का शव पिछले 6 महीने से पेड़ पर टंगा हुआ है। क्योंकि उसके घरवालों को शक है कि उसकी हत्या की गई है।
22 वर्षीय गामर का शव पोशिना के पास एक पेड़ पर टंगा हुआ मिला था। मृत गामर के पिता मेननभाई का मानना है कि उसकी हत्या की गई है। मेननभाई के अनुसार जिस लड़की से वह प्रेम करता उसकी के परिवार वालों ने उसकी हत्या की है।
गामर के शव को पिछले 6 महीने से 15 फीट की लंबाई पर लटकाया गया है। और लोग अपना रोजमर्रा का काम कर रहे हैं।