बाबा तो लंबा गयो... करीब 17 साल बाद पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या के आरोप में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने सजा ऐसी सुनाई है कि खुद बाबा कन्फ्यूज हो गया है कि मुझे सजा कितने दिनों की हुई है। रेप मामले में 20 साल की सजा पहले ही मिली थी और अब पत्रकार हत्याकांड में उम्रकैद की सजा मिल गई है।
मीडिया में बाबा की सजा के जजमेंट की ऐसी ब्रेकिंग फ्लैश हुई कि आधे लोगों को सजा का गणित ही समझ में नहीं आया। फिलहाल बाबा रामरहीम रेप के मामले में 20 साल की सजा काट रहे हैं। इसके बाद फिर पत्रकार हत्याकांड में दोषी बाबा उम्रकैद की सजा काटेंगे। बाबा राम रहीम की जिंदगी गुफा की अय्याशी से निकलकर जेल की सलाखों के पीछे तक पहुंच चुकी है। नई काली करतूत सामने आती जा रही हैं और बाबा की सजा की लिस्ट लंबी होती जा रही है।
सजा सुनकर बाबा परेशान होकर झल्ला रहे हैं कि कोई मुझे एक लाइन में बताए कि आखिर मुझे सजा कितने दिनों की हुई है। तो फिर मीडिया ने बाबा की झल्लाहट की संवेदना को समझते हुए एक लाइन में सीधा सा फ्लैश किया कि मरते दम तक बाबा रामरहीम जेल में ही रहेगा। अब बाबा के मन में भी कोई शंका नहीं रही।
पंचकूला की विशेष सीबीआई अदालत के न्यायाधीश जगदीप सिंह ने हत्या मामले में 11 जनवरी को गुरमीत और तीन अन्य कुलदीप सिंह, निर्मल सिंह ओर कृष्ण लाल को दोषी ठहरा दिया था और सजा का ऐलान आज कर दिया। अदालत ने गुरमीत राम रहीम पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
पंचकूला की विशेष सीबीआई अदालत ने अपने फैसले में साफ कर दिया है कि उम्रकैद की सजा बलात्कार में मिली सजा (20 वर्ष) के बाद शुरू होगी। इसका अर्थ ये है कि जिस समय बलात्कार मामले में सजा समाप्त होगी उस समय राम रहीम की उम्र करीब 70 साल होगी। हालांकि, सीबीआई ने तो बाबा राम रहीम को फांसी देने की मांग की थी। वर्तमान में 51 वर्षीय बाबा राम रहीम अपनी दो अनुयायियों के बलात्कार के जुर्म में रोहतक की सुनारिया जेल में 20 साल की सजा काट रहा है।
2002 में पत्रकार छत्रपति के समाचार पत्र 'पूरा सच' ने एक पत्र प्रकाशित किया था जिसमें यह बताया गया था कि डेरा मुख्यालय में राम रहीम किस प्रकार महिलाओं का यौन उत्पीड़न कर रहे हैं। इसके बाद छत्रपति को अक्टूबर 2002 में गोली मार दी गई थी। गंभीर रूप से घायल होने के कारण पत्रकार की बाद में मौत हो गई थी। आरोप लगा था कि गोली डेरा अनुयायियों ने मारी गोली मार दी थी।
2002 के इस मामले में गुरमीत राम रहीम को मुख्य षड़यंत्रकर्ता नामित किया गया है। 2003 में इस संबंध में मामला दर्ज किया गया था। इस मामले को 2006 में सीबीआई को सौंप दिया गया था। जुलाई 2007 को सीबीआई ने चार्जशीट पेश की और साल 2014 में सबूतों पर कोर्ट में बहस शुरू हुई, फिर ऐसा करते-करते ये केस इस अंजाम तक पहुंचा है।