24 सितंबर, 2014 विज्ञान के क्षेत्र में भारत के लिए सबसे महत्वपूर्ण दिन था। इसी दिन भारत के पहले अंतरग्रहीय अंतरिक्ष मिशन मंगलयान ने मंगल ग्रह की कक्षा में पहुंचकर इतिहास रच दिया था। मंगलयान की सफलता इसलिए भी बड़ी थी, क्योंकि भारत अपने पहले प्रयास में ही मंगल पर पहुंच जाने वाला दुनिया का पहला देश बन गया था।
वैसे तो भारत के अलावा और भी कई देश मंगल ग्रह पर अपना विमान भेज चुके हैं, लेकिन अब तक इस लाल ग्रह के कई रहस्य अधूरे ही हैं। आज हम आपको मंगल ग्रह के बारे में कुछ ऐसी बातें बताने जा रहे हैं, जिसे जानकर आप भी आश्चर्य करेंगे।
मंगल ग्रह पर सौरमंडल का सबसे ऊंचा पहाड़ मौजूद है, जिसकी ऊंचाई लगभग 24 किलोमीटर है। यह पृथ्वी के सबसे ऊंचे पहाड़ माउंट एवरेस्ट से भी 3 गुना ज्यादा बड़ा है।
मंगल ग्रह का एक साल पृथ्वी के 687 दिन यानी 23 महीनों के बराबर होता है, क्योंकि मंगल ग्रह को सूर्य का एक चक्कर काटने में पृथ्वी की तुलना में अधिक समय लगता है।
मंगल ग्रह को लाल ग्रह भी कहा जाता है, क्योंकि यहां आयरन ऑक्साइड काफी अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। मंगल ग्रह की मिट्टी और पहाड़ इसी से बने हैं, इसलिए यह लाल रंग का दिखाई देता है।
गर्मियों में मंगल ग्रह का सबसे अधिक तापमान 30 डिग्री सेल्सियस होता है, जबकि सर्दियों में यह शून्य से घटकर 140 डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है। ऐसे में किसी भी इंसान का वहां रहना लगभग असंभव है।
मंगल ग्रह पर फोबोल और डीमोस नाम के दो चांद हैं। ये दोनों क्षुद्रग्रह हैं जो आने वाले 30-50 मिलियन सालों में मंगल ग्रह से टकरा सकते हैं या उसकी सतह पर गिर सकते हैं।
मंगल ग्रह पर पृथ्वी की अपेक्षा गुरुत्वाकर्षण शक्ति काफी कम है। ऐसे में धरती पर अगर किसी इंसान का वजन 100 पाउंड (45.3 किलो) है, तो मंगल ग्रह पर उसका वजन 38 पाउंड (17.2 किलो) हो जाएगा।
मंगल पर पानी के सबूत भी बर्फ के रूप में वैज्ञानिकों को कई बार मिले हैं। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, वैज्ञानिक मानते हैं कि मंगल पर करीब साढ़े तीन अरब साल पहले भयंकर बाढ़ आई थी, लेकिन इसका पता आज तक नहीं चल सका कि ये पानी कहां से आया था, कितने समय तक रहा और फिर कहां चला गया।