अक्सर हम लोग पुलिस के पास जाने से पहले हजार बार सोचते हैं, कुछ बड़ा हो जाता है तब भी ये सोच कर टाल जाते हैं कि कौन थाने के चक्कर में पड़े! लेकिन बच्चे कितने मासूम होते हैं, ये आपको इस खबर को पढ़कर पता चलेगा।
आज हम आपको जो बताने जा रहे है उसके बारे में जानकर के आपकी सारी परेशानी कही न कही दूर हो जाएगी और आप कहेंगे कि क्या पुलिस वाकई में बच्चो को भी इतना ज्यादा सीरियस लेती है? ये मामला केरल के कोझिकोड से सामने आया है।
5वीं कक्षा के एक छात्र ने मेप्पायुर पुलिस स्टेशन में लिखित शिकायत की। इसमें लिखा, "उसने और उसके भाई ने 5 सितंबर को दुकानदार को साइकिल सुधारने दी थी। मुझे यह वापस नहीं मिली है।" छात्र अबिन ने पुलिस को बताया, "दुकानदार को साइकिल ठीक करने के लिए 200 रुपए एडवांस में दिए थे।
दुकानदार ने 2 महीने में साइकिल नहीं सुधारी। कई बार जाने पर दुकान बंद भी मिली। पुलिस जल्द ही साइकिल दिलाने में मदद करे। 10 साल के छात्र की शिकायत पर पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की और दो दिन में साइकिल मिल गई। 25 तारीख को यह शिकायत पत्र लिखा गया था, उसने साइकिल बनने के लिए 5 सितंबर को दी थी।
अबिन अपने भाई के साथ थाने गया था। पुलिस ने बच्चे की शिकायत पर कार्यवाई की और साइकिल मिस्त्री से बात भी की। शिकायत के बाद पुलिस अफसर राधिका एनपी ने माना कि बच्चे की शिकायत जायज थी और मामले में हस्तक्षेप जरूरी था।
पुलिस ने दुकानदार की जानकारी जुटाई और उसे खोज निकाला। पूछताछ में पुलिस को दुकानदार ने बताया, "वह बीमार होने के कारण कुछ दिन दुकान नहीं खोल पाया। इसके बाद बेटे की शादी में व्यस्त हो गया।" दुकानदार ने पुलिस से वादा किया कि वह छात्र की साइकिल ठीक कर 27 नवंबर तक सौंप देगा।