वैश्विक महामारी कोरोना वायरस का सबसे ज्यादा प्रभाव बच्चों की पढ़ाई-लिखाई पर पड़ा है। संक्रमण की चेन को तोड़ने लिए विद्यालयों को बंद रखने का निर्देश दिया गया है। वैसे पढ़ाई और स्कूल का नाम सुनते ही मन में कई तरह के सवाल दौड़ने लगते हैं, जैसे - पढ़ने का दबाव, किताबों से भरा बैग वगैरह... वगैरह...। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से दुनिया के कुछ अनोखे स्कूल के बारे में बताएंगे, जहां बेहद अनोखे तरह से पढ़ाई होती है।
द कार्पे डियम स्कूल
ओहिओ में स्थित इस स्कूल में क्लासरूम की जगह करीब 300 क्यूबिकल हैं, जो बिल्कुल एक ऑफिस की तरह दिखते हैं। इस स्कूल का यह मानना है कि हर किसी को अपने स्तर पर चीजें सीखनी चाहिए। हालांकि, बच्चों को किसी तरह की कोई परेशानी होती है, तो इंस्ट्रक्टर तुरंत आकर उनकी मदद कर देते हैं।
मकोको फ्लोटिंग स्कूल
आपने ऐसी कई जगहों के बारे में देखा या सुना होगा, जहां स्कूल या तो है ही नहीं या फिर इतना दूर है कि बच्चे पढ़ने ही नहीं जा पाते हैं। लेकिन नाइजीरिया में एक ऐसा स्कूल है, जो पानी पर तैरता रहता है। इसमें एक बार में 100 बच्चे पढ़ाई करते हैं। यह स्कूल पानी के घटते-बढ़ते जल स्तर पर भी आराम से टिका रहता है और खराब मौसम भी इसे कोई नुकसान नहीं पहुंचा पाता है।
द स्कूल ऑफ सिलिकॉन वैली
यह स्कूल पढ़ाई के परंपरागत तरीकों के बिल्कुल खिलाफ है। इस विद्यालय में बच्चों की पढ़ाई के लिए उच्च स्तर की तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। यहां पर बच्चों को आई पैड, थ्री-डी मॉडलिंग और संगीत की मदद से पढ़ाया जाता है।
झोंगडोंग: द केव स्कूल
चीन का यह स्कूल करीब 186 छात्रों को शिक्षा देता था और इसमें 8 शिक्षक पढ़ाते थे। दरअसल, यह स्कूल एक प्राकृतिक गुफा के अंदर था, जिसे साल 1984 में खोजा गया था। यहां पर ऐसे बच्चों को शिक्षा दी जाती थी, जो स्कूल नहीं जा सकते हैं। लेकिन साल 2011 में चीन की सरकार ने इस स्कूल को बंद करवा दिया।
सडबरी स्कूल
अमेरिका में स्थित इस स्कूल में बच्चे खुद से अपना टाइम टेबल बनाते हैं और इसके साथ ही ये भी तय करते हैं कि उन्हें किस दिन क्या पढ़ना है? इतना ही नहीं बच्चों के द्वारा ये भी तय किया जाता है कि न्हें पढ़ाई करने के कौन से तरीके अपनाने हैं और वो खुद को किस तरह से आंकना चाहते हैं।
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वैश्विक महामारी कोरोना वायरस का सबसे ज्यादा प्रभाव बच्चों की पढ़ाई-लिखाई पर पड़ा है। संक्रमण की चेन को तोड़ने लिए विद्यालयों को बंद रखने का निर्देश दिया गया है। वैसे पढ़ाई और स्कूल का नाम सुनते ही मन में कई तरह के सवाल दौड़ने लगते हैं