विज्ञान का वरदान आज भले ही मनाव जीवन को आसान बना रहा हो, लेकिन आज भी हमें कई ऐसी चीजें देखने को मिल जाती हैं, जो इस आधुनिक युग में भी विज्ञान को मात दे रही है। ऐसा ही एक जीता जागता नमूना है 'अपुरिमैक नदी' के ऊपर घास की रस्सियों से बना इंका रोप ब्रिज जो अपने आप विज्ञान को चुनौती देता है। हालांकि इस पुल की मरम्मत हर साल की जाती है। इस पुल को लेकर चौकने वाली बात यह है कि बीते 600 सालों से यह लोगों के आने-जाने का माध्यम बना हुआ है।
पेरू के कुस्को इलाके में स्थित इस पुल को इंका रोप ब्रिज कहा जाता है क्योंकि इसे इंका साम्राज्य के दौरान पहली बार बनाई गई थी। इस पुल को बनाने के लिए 120 रस्सियों की जरूरत पड़ती है। इस पुल का निर्माण मर्द ही करते है, महिलाएं बस नदी के दोनों ओर ऊंचाई पर बैठकर रस्सियां बुनने का काम ही करती हैं। ये यहां की एक अनूठी परंपरा है। इस पुल को बनाने के लिए लोग यहां स्थानीय रूप से पाई जानी वाली मजबूत घास (कोया इचू) का इस्तेमाल करते हैं।
सबसे पहले इन घासों को पत्थरों के उपर पीटा जाता है,फिर इन्हें पानी में भिगोया जाता है,ताकि ये मुलायम हो जाएं और इसे बुनने में आसानी हो। नए पुल के निर्माण के बाद पुराने पुल की रस्सियां काट दी जाती हैं। जिससे वह अपने-आप नदी में गिर जाती हैं और वक्त के साथ अपने-आप खत्म हो जाती हैं।
पुल बनाने की पूरी प्रक्रिया में कोई भी आधुनिक सामान, उपकरण या मशीन का इस्तेमाल कतई नहीं किया जाता है। बस घास और इंसानी ताकत की सहायता से इस अजूबे को तैयार किया जाता है। केस्वाचाका पुल को पूरे साल में केवल एक बार ही बनाया जाता है। इस पुल को बनाने के ठीक चार दिन बाद खाने और संगीत के कार्यक्रमों के साथ यहां उत्सव मनाया जाता है। जोकि आम तौर पर जून के दूसरे रविवार को पड़ता है।