शहरों में आपको अक्सर महिलाएं ड्राइविंग करती नजर आ जाती हैं, लेकिन वहीं जब आप हाइवे पर जाते हैं या फिर किसी गांव के इलाके में जाते हैं तो वहां दूर-दूर तक महिलाएं ड्राइविंग करती नजर नहीं आती हैं। शहरों से कोसो-दूर महिलाओं का ड्राइविंग करना सेफ नहीं होता है। एक महिला ऐसी है जिसने समाज के इस सोच को बदल दिया है। उसने समाज के इस सोच को बदल कर स्टीयरिंग संभाल लिया है।
भोपाल की रहने वाली योगिता रघुवंशी अपने दो बच्चों का पेट पालने के लिए ट्रक ड्राइव करती हैं। वह सिंगल मदर है ट्रक चलाकर अपने बच्चों की हर एक ख्वाहिश पूरी करती हैं। सफर के दौरान ढ़ाबों पर खाती हैं और कई बार खुद सड़क के किनारे खाना बनाती नजर आती हैं। ट्रक के अंदर ही सोती हैं और हां वह सब काम खुद अकेले करती हैं।
49 वर्ष के योगिता के पास कामर्स और लॉ की डिग्री भी है उन्होंने ब्यूटीशन का भी कोर्स कर रखा है। लेकिन घर की हालात को देखते हुए उन्होंने ट्रक ड्राइविंग को ही सही समझा। वह कहती हैं कि उन्हें ट्रक ड्राइविंग को सही ऑप्शन समझा। योगिता को कई भाषा बोल लेती हैं जैसे हिंदी, इंग्लिश, मराठी, गुजराती यह सब उन्हें ड्राइविंग के दौरान ही सीखी है।
योगिता के जिंदगी में कई उतार-चढ़ाव आए उनके पति की मौत साल 2003 में एक सड़क दुर्घटना में हुई। जिसके बाद योगिता को जिंदगी पूरी तरह बदल गई। उन्होंने कई मुश्किलों का सामना किया। जिसके बाद उन्होंने ट्रक ड्राइविंग को अपना सही पेशा समझा।
योगिता कहती हैं ड्राइविंग के दौरान बहुत सतर्क रहना पड़ता है। जरा सी चूक से बड़ा हादसा हो सकता है। कहती हैं सफर के दौरान मिलने वाले ट्रक डाइवर मेरी बहुत मदद करते हैं। साथ ही जिस ढ़ाबे पर जाती हैं उनका स्वागत गर्मजोशी के साथ किया जाता है।