पवन-पुत्र हनुमान को कौन नहीं जानता है। वह भगवान शिवजी के 11वें रुद्रावतार, सबसे बलवान और बुद्धिमान माने जाते हैं। उनके कई नाम हैं, जैसे बजरंग बली, मारुति, अंजनि सुत, संकटमोचन, केसरीनंदन, महावीर, कपीश, शंकर सुवन आदि। हनुमान जी की माता का नाम अंजनि था, ये तो लगभग सभी लोग जानते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि हनुमान जी का जन्म कहां और किस जगह पर हुआ था?
ऐसा माना जाता है कि हनुमान जी का जन्म 58 हजार साल पहले झारखंड राज्य के गुमला जिले के आंजन नाम के छोटे से पहाड़ी गांव की एक गुफा में हुआ था। इस जगह को आंजनधाम के नाम से जाना जाता है।
पहाड़ी पर एक मंदिर भी है, जिसकी स्थापना साल 1953 में हुई थी। इस मंदिर में स्थापित प्रतिमा में हनुमान जी अपनी माता अंजनी की गोद में बैठे हुए हैं। यह दुनिया की इकलौती ऐसी प्रतिमा है। ऐसा कहीं और देखने को नहीं मिलता।
इस जगह पर कहीं-कहीं खुदाई करने पर मिली पुराने मंदिरों की मूर्तियां और मंदिरों के अवशेष यह बताते हैं कि किसी युग में यह बहुत बड़ा तीर्थस्थान रहा होगा। यहां के लोग बताते हैं कि किसी समय यहां सैकड़ों मंदिर थे, जो इस्लामिक काल में नष्ट कर दिए गए।
पहाड़ी पर स्थित जिस गुफा में हनुमान जी का जन्म हुआ था, उसके बारे में कहा जाता है कि यहां माता अंजनी ने तपस्या की थी। पुराणों के अनुसार, माता अंजनी को कुंवारी मां बनने का श्राप था। इसी वजह से उन्होंने ऐसे घनघोर जंगल को चुना, जहां उनपर किसी गैर मर्द की छाया न पड़े। कहते हैं वह आज का आंजनधाम ही था।
कहते हैं कि गुफा में घोर तपस्या के बाद जब भगवान शिव ने अंजनी को दर्शन दिए तो उन्होंने शिवजी को ही अपने पुत्र के रूप में प्राप्त होने का वरदान मांग लिया। बाद में हनुमान जी के रूप में शिवजी ने अंजनी के गर्भ से जन्म लिया। लेकिन अब इस गुफा का द्वार बंद है। इसके बंद होने की पीछे एक रहस्यमयी कहानी है।
ऐसा माना जाता है कि गुफा के द्वार को हनुमान जी की माता अंजनी ने खुद बंद कर लिया, क्योंकि स्थानीय लोगों द्वारा वहां दी गई बलि से वो नाराज थीं। यह गुफा आज भी आंजन धाम में मौजूद है।
आंजनधाम से जुड़ी और भी कई पौराणिक कहानियां हैं। कहते हैं कि गुमला जिले के पालकोट प्रखंड में बालि और सुग्रीव का राज्य था। यहीं पर शबरी आश्रम भी है, जहां माता शबरी ने भगवान राम व लक्ष्मण को जूठे बेर खिलाए थे।
आंजनधाम में ही पंपापुर नाम का एक सरोवर भी है। ऐसा माना जाता है कि यहां भगवान राम और लक्ष्मण ने रुककर स्नान किया था।