केरल में सबरीमाला के भगवान अयप्पा के मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर विवाद तो है ही, साथ ही इससे थोड़ी दूर पर तमिलनाडु के वडक्कमपट्टी नामक स्थान पर मुनियंडी स्वामी का मंदिर है, जहां परंपरागत रूप से मनाए जाने वाले सालाना उत्सव के दौरान श्रद्धालुओं को प्रसाद के रूप में बिरयानी दिया जाता है।
तिरुमंगलम तालुका के छोटे से गांव वडक्कमपट्टी में स्थित इस मंदिर की यह परंपरा नई नहीं है, बल्कि 100 वर्षों से ज्यादा समय से यहां के लोग पूरे श्रद्धा-भाव के साथ परंपरा का पालन कर रहे हैं। बीते जनवरी के आखिरी सप्ताह में यहां 1 हजार किलो चावल, 250 बकरे और 300 मुर्गे की बिरयानी बनाई गई और श्रद्धालुओं के बीच प्रसाद के रूप में बांटी गई। यह सालाना उत्सव 24, 25 और 26 जनवरी को मनाया जाता है। इस बार भी जनवरी के अंतिम सप्ताह में तीन दिनों के उत्सव के दौरान मुनियंडी स्वामी के भक्तों को यह प्रसाद खिलाया गया।
मुनियंडी स्वामी के मंदिर के सालाना जलसे में सिर्फ भक्त ही शामिल नहीं होते, बल्कि इस उत्सव के दौरान वडक्कमपट्टी आने वाले किसी भी व्यक्ति को पूरी श्रद्धा के साथ भगवान का यह प्रसाद खिलाया जाता है। अखबार के अनुसार, वडक्कमपट्टी की लजीज बिरयानी पूरे तमिलनाडु, यहां तक कि दक्षिण भारत के अन्य राज्यों में भी मशहूर है।
द हिन्दू की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 83 वर्षों से चली आ रही यह परंपरा को बरकरार रखने में वडक्कमपट्टी गांव के निवासियों का बड़ा योगदान है। सालाना मंदिर उत्सव के दौरान यहां पर बड़ी मात्रा में बिरयानी बनाई जाती है। देश के अलग-अलग हिस्सों से आने वाले भक्तों के लिए प्रसाद के रूप में बनाई जाने वाली बिरयानी को पकाने में हजार किलो चावल के अलावा बकरे और मुर्गे की बलि दी जाती है।
मंदिर उत्सव आयोजन से जुड़े एन. मुनिस्वरन ने कहा कि सुबह-सवेरे नाश्ते के रूप में बिरयानी प्रसाद खाना, अलग तरह का अनुभव है। मुनियंडी स्वामी के मंदिर का यह प्रसाद बिना किसी भेदभाव के सभी लोगों के बीच बांटा जाता है। मंदिर में आने वाले हर आयुवर्ग और विभिन्न समुदायों के श्रद्धालु उत्सव के दौरान बिरयानी प्रसाद के लिए लंबी प्रतीक्षा करते हैं और प्रसाद पाकर आनंद का अनुभव करते हैं। कई लोग तो अपने साथ घर से बर्तन भी लाते हैं ताकि बिरयानी प्रसाद घरवालों के लिए ले जा सकें।
मुनियंडी स्वामी के भक्त ही यह प्रसाद तैयार करते हैं। पूरी रात जागकर तैयार की जाने वाली बिरयानी सुबह 4 बजे तैयार की जाती है, जिसे प्रसाद के रूप में सुबह करीब 5 बजे भक्तों के बीच बांटा जाता है। उन्होंने बताया कि मंदिर उत्सव के दौरान हजारों की तादाद में भक्त और अन्य लोग बडक्कमपट्टी आते हैं। इतने लोगों के लिए प्रसाद बनाने में 2 हजार किलो चावल, बकरे का मांस लगता है, जिससे बिरयानी तैयार होती है। इस उत्सव के आयोजक-मंडल में शामिल एन. मुनिस्वरन ने अखबार को बताया कि 50 से ज्यादा बड़े-बड़े बर्तनों में बिरयानी तैयार की जाती है।
खास बात है कि वडक्कमपट्टी में लगभग हर कोई बिरयानी का फैन है। यहीं से 70 और 80 के दशक में मदुरई श्री मुनियंडी विलास की लोकप्रिय रेस्त्रां श्रृंखला की शुरुआत हुई थी। इस समय इसके पूरे दक्षिण भारत में 1,000 से अधिक आउटलेट हैं। बडक्कमपट्टी के एक स्थानीय निवासी संतकुमार ने बताया कि पिछले साल 200 बकरों और 250 मुर्गों की बलि दी गई थी, तब जाकर 1800 किलो बिरयानी तैयार की गई थी।