यहां मगरमच्छ भी बन गए संत, इस शख्स के पीछे पालतू कुत्तों की तरह दुम हिलाते हैं ये खूंखार जीव
टीम फिरकी, नई दिल्ली
Updated Fri, 07 Sep 2018 07:30 AM IST
सोचिए अगर मगरमच्छ जैसा खूंखार जानवर एक पालतू जानवर बन जाए और आपके आगे-पीछे पालतू कुत्ते की तरह दुम हिलाने लगे। आप सोचेंगे कि ये कैसी बेहुदा बात हुई। मगरमच्छ तो मांसाहारी होता है। अगर उसके पास गए तो वो तो कच्चा चबा डालेगा। लेकिन दुनिया में एक अजब-गजब जगह ऐसी भी है जहां मगरमच्छ पालतू कुत्ते की तरह रहते हैं।
जी हां, ये जगह है पाकिस्तान के कराची में। आपको यकीन नहीं होगा कि यहां पर मगरमच्छ को लोग संत कहते हैं। इतना ही नहीं इनकी पूजा भी की जाती है। अब आप सोचेंगे कि ये क्या सृष्टि का उल्टा चक्र चल पड़ा क्या..? लेकिन ऐसा नहीं है। माजरा कुछ और है। ये मगरमच्छ मांस संत होने के बाद भी घांस नहीं खाते बल्कि मांस ही खाते हैं लेकिन फर्क बस इतना है कि इंसान के हाथ से दिया गया मांस ही इनको हज्म होता है।
दरअसल, जहां इन मगरमच्छों को रखा गया है वो एक पवित्र स्थल है। शायद इस स्थल का असर होगा जो इन खूंखार जानवरों को भी बदल दिया। यहां लोग आते हैं और इन मगरमच्छों को अपने हाथ से मांस खिलाते हैं। लेकिन इन सबके बीच में एक शख्स ऐसा है जो इनका ख्याल रखता है। वो शख्स इन मगरमच्छों के लिए बेहद खास है।
खास इसलिए क्योंकि वह कई साल से उन्हें अपने हाथों से खाना खिलाता है। बीच-बीच में मिठाइयां भी खिला देता हैं। इन मगरमच्छों को बकरे की गर्दन बेहद पसंद है। मूल रूप से पाकिस्तान की छोटी सी कम्यूनिटी शीदी के लोग इस जगह को पवित्र मानते हैं। ये शख्स भी इसी शीदी कम्यूनिटी का बताया जाता है।
यहां रहने वाले एक मगरमच्छ की उम्र करीब 88 साल बताई जाती है। इस मगरमच्छ का नाम है- मोह साहिब। रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2015 से पहले कुछ वक्त के लिए यहां पर लोगों का आना बंद हो गया था। क्योंकि इस इलाके में लोग तालिबान का खतरा अधिक महसूस करने लगे थे। लेकिन 2015 के अक्टूबर-नवंबर से यहां अधिक लोग आने लगे।
यहां पर जब लोगों की भीड़ आती है तो मगरमच्छ कीचड़ भरे तालाब से किनारे की ओर पहुंचता है। कहते हैं कि जो शीदी कम्यूनिटी के लोग मगरमच्छ की पूजा करते हैं, उनके पूर्वज कभी अफ्रीका से पाकिस्तान आए थे।