राष्ट्रपति भवन परिसर में गुरुवार को राम विलास पासवान ने 17वीं लोकसभा के तहत बनी मोदी सरकार में बतौर कैबिनेट मंत्री शपथ ली। पासवान पिछले 32 वर्षों में 11 बार चुनाव लड़ चुके हैं और उनमें से नौ बार जीत चुके हैं। भारत के इस नेता को छह अलग- अलग प्रधानमंत्रियों के कार्यकाल में विभिन्न मंत्रालयों में कार्यभार संभालने का तमगा प्राप्त है। लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के अध्यक्ष राम विलास पासवान बिहार की राजनीति के सबसे प्रमुख दलित चेहरों में से एक हैं। राजनैतिक चालाकियों और जोड़-तोड़, उचित अवसर की पहचान और दोस्त-दुश्मन बदलने की कला में माहिर रामविलास पासवान को भारतीय राजनीति का मौसम वैज्ञानिक कहते है। पासवान राजनीति की हवा के रूख को पहले ही भाप लेते है।
राम विलास पासवान का जन्म बिहार के खगरिया जिले में 5 जुलाई 1946 को हुआ, उनका प्रारंभिक जीवन यहीं बीता। कोसी कॉलेज से उन्होंने परास्नातक की डिग्री हासिल की और सिविल सेवा उत्तीर्ण कर ली। यह वही समय था, जब पासवान के मन में अपने समुदाय के लिए कुछ करने का विचार आया। वे दलित समुदाय से थे और देश में दलितों की हालत बहुत खराब थी।
साल 1969 में पासवान सम्युक्त सोशलिस्ट पार्टी का हिस्सा बने, इसी साल वे पहली बार विधायक भी चुने गए थे। 1974 के आते- आते वे लोकदल के महासचिव चुने गए। इंदिरा गांधी ने जब देश में आपातकाल लगाया तो इन्हे जेल भी जाना पड़ा। 1974 के आते- आते वे लोकदल के महासचिव चुने गए। 1977 में वे जेल से बाहर आए तो आते ही भाजपा में शामिल हो गए। इसी वर्ष लोकसभा चुनाव हुआ तो हाजीपुर लोकसभा सीट से उन्होंने 4.24 लाख वोटों के अंतर से चुनाव जीता। इस समय पासवान ने इतने अधिक अंतर से चुनाव जीता की वह उस समय रिकॉर्ड बन गया। की वजह से उनका नाम गिनीज बुक में दर्ज किया गया।
इस जीत के बाद पासवान ने खुद को बिहार में एक दलित नेता के रूप में स्थापित कर लिया। पासवान संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी, लोकदल, जनता पार्टी, जनता दल, जदयू में रहे। इन्होंने अपने आप को पूरी तरह से दलितों के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया। गुरुवार को कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ लेने वाले पासवान शायद अकेले ऐसे नेता हैं, जिन्होंने छह अलग-अलग प्रधानमंत्रियों, विश्वनाथ प्रताप सिंह, एच डी देवगौडा, आई के गुजराल, अटल बिहारी वाजपेयी, मनमोहन सिंह और मोदी की कैबिनेट में काम किया है। केन्द्र में चाहे यूनाइटेड फ्रंट हो, राजग हो या संप्रग, पासवान को अधिकतर सभी गठबंधन का हिस्सा बनने का मौका मिला है।
वह विश्वनाथ प्रताप सिंह के समय 1989 में केन्द्रीय श्रम मंत्री बने। एच डी देवगौडा और गुजराल सरकार के समय वह जून 1996 से मार्च 1998 तक रेल मंत्री रहे। पासवान अक्टूबर 1999 से सितंबर 2001 के बीच संचार एवं आईटी मंत्री रहे। सितंबर 2001 से अप्रैल 2002 के बीच वह खान मंत्री रहे। 2004 से 2009 के बीच वह रसायन एवं उर्वरक तथा इस्पात मंत्री रहे। 1990 में यह उनके प्रयासों का ही परिणाम था कि संसद के सेंट्रल हाल में डॉक्टर भीमराव आम्बेडकर का चित्र लगाया गया।
सन 2000 में उन्होंने लोक जनशक्ति पार्टी का गठन किया। 2001 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वे कोयला मंत्री बनाए गए। 2002 में गुजरात दंगे हुए तो पासवान ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का साथ छोड़ दिया। 2004 में वे फिर से संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन में शामिल हो गए। आगे चलकर मनमोहन सिंह की सरकार में उन्हें ‘केमिकल एंड फर्टिलाइजर’ मंत्रालय का कार्यभार सौंपा गया था।