समुद्र में बने भारत के इस पुल के तारों से बांधी जा सकती है पृथ्वी, 56 हजार हाथियों के बराबर है वजन
टीम फिरकी, नई दिल्ली
Published by:
Pankhuri Singh
Updated Sat, 09 Feb 2019 05:54 PM IST
अनोखे काम करने में भारत कभी भी पीछे नहीं रहा है। इस देश के हर कोने कुछ न कुछ आश्चर्यचकित कर देने वाला मिल ही जाता है। यूं तो बांद्रा वर्ली सी लिंक के विषय में सभी जानते होंगे लेकिन हैरान करने वाली बात ये है कि, इसमें पृथ्वी की परिधि के बराबर स्टील के तार हैं। जानिए इस पुल से जुड़ी और अनोखे तथ्य।
भारत का पहले 8 लेन के पुल, बांद्रा वर्ली सी लिंक जो खुले समुद्र के ऊपर केबल-स्टे फ्रीवे है को बनाने का विचार 90 के दौरान शुरू किया गया था। हालांकि, इसे मछुआरों और पर्यावरणविदों से कई जनहित याचिकाओं का सामना करना पड़ा जो समुद्री लिंक के निर्माण के खिलाफ थे।
उच्चतम न्यायालय में स्थानांतरित होने वाली दलीलों के बावजूद, जिसे खारिज कर दिया गया, इस क्रांतिकारी पुल के निर्माण में डिजाइन में कई बदलाव हुए जिस कारण इसकी लागत में काफी वृद्धि हुई और अंतिम लागत 13.06 बिलियन से 16.5 बिलियन रु हो गई। बांद्रा वर्ली सी लिंक में पृथ्वी की परिधि के बराबर स्टील के तार हैं।
हालांकि समुद्री लिंक का निर्माण 2000 में शुरू हुआ था, इसे 2009 में सार्वजनिक उपयोग के लिए खोला गया था। समुद्री लिंक के पूरा होने में पांच साल की देरी हुई थी। इसका नाम भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नाम पर रखा गया था।
समुद्री लिंक के डिजाइनर शेषाद्री श्रीनिवास ने न केवल मुंबई के जेजे फ्लाईओवर, बल्कि मक्का में जमरात ब्रिज को भी डिजाइन किया है। फिर भी, शेषाद्री को इस पुल के डिजाइन को अंतिम रूप देने में काफी समय लगा।
मुंबई के बहुचर्चित पुल के बारे में सबसे अच्छे तथ्यों में से एक यह तथ्य है कि इसका वजन 56,000 अफ्रीकी हाथियों के वजन के बराबर है, आखिरकार, इसे बनाने के लिए 90,000 टन सीमेंट का उपयोग किया गया था। समुद्री लिंक को रोशन करने पर 90 मिलियन रुपये से अधिक का खर्च आता है।
समुद्री लिंक का निर्माण न केवल भारत के एेस्ड समूह द्वारा किया गया था, बल्कि 11 अन्य देशों के समूह भी मिस्र, चीन, कनाडा, स्विट्जरलैंड, ब्रिटेन, हांगकांग, थाईलैंड, सिंगापुर, फिलीपींस, इंडोनेशिया और सर्बिया एेसा कर चुके हैं।