बच्चों और युवाओं को चॉकलेट अपनी ओर बड़ी जल्दी खींच लेती है। यदि आपको भी बच्चों से कुछ काम करवाना हो या किसी को मनाना हो तो बस उसे चॉकलेट दे दीजिए आपका काम और नाराजगी मिनटों में खत्म हो जाएगी।
अपने यहां कहावत भी तो है कि भई किसी काम की शुरुआत मीठे से करो तो काम सही से हो जाता है। चॉकलेट का लुत्फ उठाने वालों के बीच यह सवाल तो भई उठना लाजिमी है कि आखिरकार इस दिन की शुरुआत कैसे हुई और चॉकलेट का इतिहास क्या है?
आपकी जानकारी को तरोताजा करने के लिए हम आपको बता दें कि सबसे पहले अमेरिका में लोगों ने चॉकलेट बनाया गया था, जिसका स्वाद शुरुआत में तीखा था। विद्वानों की मानें तो चॉकलेट बनाने वाला कोको पेड़ अमेरिका के जंगलों में ही सबसे पहले पाया गया था।
अमेरिका में ही चॉकलेट का चलन शुरू हुआ था। कोकोआ बींस से ही चॉकलेट बनाया जाता है और अमेरिका में सबसे पहले कोकोआ के पेड़ देखे गए, लेकिन आज के दौर में दुनियाभर में सबसे ज्यादा कोको की आपूर्ति करने वाला देश अफ्रीका है। दुनियाभर में 70 फीसदी कोको की आपूर्ति अकेले अफ्रीका करता है।
1528 में स्पेन ने मैक्सिको को अपने कब्जे में लिया पर जब राजा वापस स्पेन गया तो वो अपने साथ कोको के बीज और सामग्री ले गया। वहां के लोगों को ये चीज बहुत पसंद आई और बस तभी से ये अमीर लोगों का पसंदीदा बन गया।
वैसे चॉकलेट हमेशा से मीठी नहीं थी। शुरुआती समय में चॉकलेट का स्वाद काफी तीखा होता था, ऐसे में कोको के बीजों को रोस्ट करके उसे पीसा जाता था और उसका पाउडर बनाया जाता था। चॉकलेट को मिठास यूरोप पहुंचकर मिली।1828 में एक डच केमिस्ट कॉनराड जोहान्स वान हॉटन नाम के शख्स ने कोको प्रेस नाम की मशीन का निर्माण किया।
कॉनराड ने इस मशीन के माध्यम से चॉकलेट एल्केलाइन सॉल्ट मिलाकर इसके तीखेपन को कम किया। फिर साल 1848 में ब्रिटिश चॉकलेट कंपनी जे.एर फ्राई एंड संस ने पहली बार कोको में बटर, दूध और शक्कर मिलाकर पहली बार इसे पीने के बाद खाने लायक चॉकलेट में तब्दील किया।