भारत ढेर सारे अजूबों और आश्चर्यों से भरा-पूरा है। भारत की हर दिशाएं अपने अलग-अलग रंग रूपों के लिए जानी जाती है। कुछ दूरी पर बोल-चाल, खान-पान और कला व संस्कृति सबकुछ बदल जाता है। वैसे तो किसी से बातचीत शुरू करने के लिए आम भाषा का प्रयोग किया जाता है। लेकिन एक ऐसा गांव है जहां सीटी बजाकर एक-दूसरे से बात की जाती है। यह सुनकर आप हैरान मत हों ऐसा गांव सच में है।
यह गांव पूर्वोत्तर राज्य मेघालय में स्थित है। इस गांव का नाम कांगथांग है। लेकिन अपनी सीटी बजाने वाली खासियत के चलते इस गांव को व्हिसलिंग विलेज के नाम से भी जाना जाता है। ये राज्य के खासी जनजाति के लोग हैं, जो आम भाषा की जगह सिटी का प्रयोग करते हैं। यह कोई नई परंपरा नहीं है बल्कि यह बहुत ही पुरानी परंपरा है जो लंबे समय से चली आ रही है।
जानकारी के मुताबिक यहां हर व्यक्ति के दो नाम होते हैं एक सामान्य नाम और दूसरा व्हिसलिंग नेम यानी कि सिटी की किसी धुन पर रखा गया नाम। यहां पर रहने वाले सभी लोगों के व्हिसलिंग नेम अलग-अलग होते हैं और इसी धुन से पूरा गांव एक-दसरे को बुलाता है। धुन पहचानने की कला माता-पिता अपने बच्चों को बचपन से ही देना शुरू कर देते हैं।
व्हिसलिंग नाम रखने के पीछे एक बहुत ही रोचक कहानी है। ऐसा माना जाता है कि सिटी बजाकर बात करने की परंपरा पुरानी घटना से जुड़ी हुई है। कहानी के मुताबिक गांव का कभी कोई आदमी दुश्मनों से बचते हुए पेड़ पर चढ़ गया था। मदद के लिए उसने अपने दोस्तों को बुलाने के लिए जंगली आवाज का इस्तेमाल किया। ताकि दुश्मन ना पहचान सकें। इस घटना के बाद गांव में सीटी बजाकर बात करने की परंपरा शुरू हुई।
जानकारी के मुताबिक इस गांव में सौ से ज्यादा परिवार हैं जिनके सदस्यों के नाम अलग-अलग धुन के मुताबिक रखे गए हैं। इस गांव के लोग खास धुन बनाने के लिए प्रकृति का सहारा लेते हैं। नई धुन बनाने के लिए परिवार के सदस्यों को जंगल का भ्रमण करना होता है।