आपने एक कहावत जरूर सुनी होगी की 'झूठ बोले कौवा काटे' कौवा को लोग उसके रंग और उसकी आवाज के कारण अच्छा नहीं मानते लेकिन क्या आपने कभी सफेद कौवा देखा है? आप कहेंगे भइया कौवा तो हमेशा काला ही होता है... आप सफेद कौवा की बात कहां से लाए ऐसा तो हमने कहीं न पढ़ा और कभी सुना, लेकिन आज हम आपको एक ऐसे सफेद कौवे के बार में बताएंगे जिसके बारे में आपने शायद ही कभी सुना होगा।
आमतौर पर जो कौवे हमारे आसपास पाए जाते हैं वो काले ही होते हैं और उन्हें अशुभ माना जाता है लेकिन सफेद कौवे को अशुभ नहीं माना जाता है और मध्य प्रदेश के दतवाड़ा में ऐसे कौवे को देखा गया है। एक सफेद कौवे की तस्वीरें इंटरनेट पर जबरदस्त रूप से वायरल हो रही हैं। यह कौवा हकीकत में सफेद रंग का है जो लोगों के लिए आश्चर्य का विषय बना हुआ है।
इसे देखने के लिए लोगों की भीड़ दिनों दिन बढ़ रही है। कौवे की तरह दिखने वाले इस पक्षी में असमानता सिर्फ रंग की है। ग्रामीण पक्षी को दुर्लभ सफेद कौवा बता रहे हैं। बुजुर्गो का कहना है कि इस तरह का पक्षी क्षेत्र में पहले कभी दिखाई नहीं दिया है। सामान्य कौवे और इस पक्षी में फर्क सिर्फ इतना है कि कौवे जहां समूह में रहते हैं, यह अकेला ही दिखाई दे रहा है।
हालांकि कौवे का रंग बदला होने के पीछे वैज्ञानिक कारण हैं। सफेद कौवा भी दूसरे काले कौवे जैसा ही होता है लेकिन अनुवांशिक दोष ल्यूसीज्म की वजह से कुछ कौवे का रंग सफेद हो जाता है। दुनिया में कौवे की कई ऐसी प्रजातियां हैं जिनके शरीर पर कहीं ना कहीं सफेद धब्बा होता है।
कौवे के सफेद से काले होने के पीछे एक पौराणिक मान्यता भी है। कहते है काफी समय पहले एक ऋषि ने एक सफेद कौवे को अमृत ढूंढने भेजा और उसे आदेश दिया कि वो सिर्फ अमृत की जानकारी ला कर दे लेकिन उसे पीना नहीं है। मगर अमृत को देख कौवे को इसे पीने की लालसा हुई और उसने अमृत पी लिया जिसकी जानकारी उसने साधु को भी दे दी।
साधु कौवे पर नाराज हो गए और उसे श्राप दिया कि उसने अपनी जिस अपवित्र चोंच से पवित्र अमृत को जूठा किया है इसलिए लोग उससे घृणा करेंगे और अशुभ मानेंगे। इतना ही नहीं उन्होंने सफेद कौवे को अपने कमंडल के जल में डूबोकर उसे काला बना दिया। माना जाता है कि तब से ही कौवों की प्रजाति काले रंग की होती है।