हिंदू धर्म में हनुमान जी को सबसे अधिक पूज्य देवताओं में से एक माना गया है। कहा जाता है कि वो भगवान शिव के 11वें रुद्रावतार हैं। यूं तो बजरंग बली की पूजा मंगलवार को होती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि उनकी पूजा आखिर मंगलवार को ही क्यों होती है?
इस धरती पर जिन सात मनीषियों को अमरत्व का वरदान प्राप्त है, उनमें बजरंगबली भी शामिल हैं। हिंदू महाकाव्य रामायण के अनुसार, हनुमान जी को वानर के मुख वाले अत्यंत बलिष्ठ और बलशाली पुरुष के रूप में दिखाया जाता है।
कहते हैं कि हनुमान जी कलियुग में गंधमादन पर्वत पर निवास करते हैं। इसका उल्लेख श्रीमद् भागवत में भी मिलता है। गंधमादन पर्वत हिमालय के कैलाश पर्वत के उत्तर में स्थित है। यह पर्वत कुबेर के राज्यक्षेत्र में था। सुमेरू पर्वत की चारों दिशाओं में स्थित गजदंत पर्वतों में से एक को उस काल में गंधमादन पर्वत कहा जाता था। आज यह क्षेत्र तिब्बत के इलाके में है।
ज्योतिषियों के सटीक गणना के अनुसार, हनुमान जी का जन्म 58 हजार 112 वर्ष पहले और लोकमान्यता के अनुसार त्रेतायुग के अंतिम चरण में चैत्र पूर्णिमा को मंगलवार के दिन चित्रा नक्षत्र व मेष लग्न के योग में सुबह 6.03 बजे भारत के झारखंड राज्य के गुमला जिले के आंजन नाम के छोटे से पहाड़ी गांव की एक गुफा में हुआ था। इसी कारण हनुमान जी की पूजा मंगलवार को की जाती है।
जब बाल हनुमान उगते सूर्य को फल समझकर निगल गए थे, उस समय उनका सामना इंद्र देव से हुआ था। तब इंद्र ने अपने वज्र से बजरंग बली पर प्रहार किया था, जिससे उनकी ठुड्डी (संस्कृत में हनु) टूट गई थी। इसलिए उनको हनुमान का नाम दिया गया।