वैज्ञानिक को सांप ने काटा, फिर उसने जो किया जानकर दंग रह जाएंगे आप
टीम फिरकी, नई दिल्ली
Updated Sat, 17 Nov 2018 12:29 PM IST
क्या कोई वैज्ञानिक किसी अध्ययन के लिए अपनी जान दे सकता है? इतिहास में ऐसे एक नहीं, कई उदाहरण हैं। इन्ही में से एक कहानी है कार्ल पैटरसन शिमिट की। साल 1957, सितंबर का महीना। अमरीका के शिकागो प्रांत के लिंकन पार्क चिड़ियाघर में काम करने वाले एक शख्स के हाथ एक अजीबोगरीब सांप लगा।
76 सेंटीमीटर लंबे इस सांप की प्रजाति जानने के लिए वो उसे शिकागो के नैचुरल हिस्ट्री म्यूजियम ले गया। वहां उसकी मुलाकात मशहूर वैज्ञानिक कार्ल पैटरसन शिमिट से हुई। पब्लिक रेडियो इंटरनेशनल से जुड़ीं एलिजाबेथ शॉकमैन कहती हैं कि शिमिट को सरीसृप विज्ञान का एक बड़ा जानकार माना जाता था।
अपने जर्नल में इस पड़ताल के बारे में लिखते हुए शिमिट बताते हैं कि उन्हें इस सांप के बूमस्लैंग होने पर शक है क्योंकि इस सांप की एनल प्लेट बंटी हुई नहीं थी। लेकिन इस शक को दूर करने के लिए शिमिट ने जो किया, उसकी वजह से उन्हें जान से हाथ धोना पड़ा।
शिमिट सांप को अपने काफी करीब लाकर उसके शरीर पर बनी आकृतियों का अध्ययन करने लगे। वह अचंभे के साथ सांप के शरीर और सिर पर बनी आकृतियां और रंग देख रहे थे तभी इस सांप ने उनके अंगूठे पर काट लिया। लेकिन शिमिट ने डॉक्टर के पास जाने के बजाय अपने अंगूठे को चूसकर सांप का जहर बाहर निकालने की कोशिश शुरू कर दी। यही नहीं, उन्होंने अपने जर्नल में सांप के कांटने के बाद हो रहे अनुभवों को दर्ज करना शुरू कर दिया।
अपने जर्नल में शिमिट लिखते हैं, '4:30 से 5:30 तक जी मिचलाने जैसा अनुभव हुआ लेकिन उल्टी नहीं आई, मैंने होमवुड तक एक ट्रेन में यात्रा की। उसके बाद 5:30 से 6:30 तक काफी ठंड और झटके लगने जैसी अनुभूति हुई जिसके बाद 101.7 डिग्री का बुखार आया। फिर शाम 5:30 बजे ही मसूड़ों में खून आना शुरू हो गया।'
शिमिट आगे लिखते हैं, '8:30 बजे मैंने दो टोस्ट खाए। फिर रात 9:00 से 12:20 तक मैं आराम से सोया। इसके बाद मैंने पेशाब किया जिसमें ज्यादातर मात्रा खून की थी। इसके बाद 26 सितंबर की सुबह 4:30 बजे मैंने एक गिलास पानी पिया और जी मिचलाने की वजह से उल्टी की। जो कुछ नहीं पच पाया था, मेरे पेट से बाहर निकल गया। इसके बाद मैंने काफी बेहतर महसूस किया और सुबह साढ़े छह बजे तक सोया।'
शिमिट के मुताबिक, 'सुबह साढ़े छह बजे मेरे शरीर का तापमान 98.2 डिग्री सेल्सियस था। मैंने टोस्ट के साथ उबले अंडे, ऐपल सॉस, सेरिअल्स और कॉफी पी। इसके बाद पेशाब नहीं आई, बल्कि हर तीन घंटे पर एक आउंस खून निकला। मुंह और नाक से खून निकलना लगातार जारी रहा, लेकिन ज्यादा मात्रा में नहीं।'
इसके बाद दोपहर के डेढ़ बजे शिमिट ने अपनी पत्नी को फोन किया, लेकिन जब तक डॉक्टर पहुंचे तब तक शिमिट का पूरा शरीर पसीने में डूब चुका था। वह बेहोशी की स्थिति में थे। अस्पताल पहुंचने तक एक डॉक्टर ने उन्हें होश में लाने की काफी कोशिश की, लेकिन दोपहर तीन बजे तक डॉक्टरों ने शिमिट को मृत घोषित कर दिया। डॉक्टरों ने बताया कि सांस लेने में तकलीफ की वजह से शिमिट की मौत हुई थी।
बता दें कि अफ्रीकी सांप बूमस्लैंग का जहर बड़ी तेजी से असर करता है। किसी पक्षी की जान लेने के लिए इसका 0.0006 मिलीग्राम जहर ही काफी है। इस जहर के प्रभाव से शरीर में खून के थक्के जमना शुरू हो जाते हैं, जिससे खून का प्रवाह बाधित हो जाता है। इसके बाद शरीर में अलग-अलग जगहों से खून निकलना शुरू हो जाता है और फिर पीड़ित की मौत हो जाती है।
Kerala woman breaks gender stereotype to become famous snake catcher
- फोटो : demo
शिमिट की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट कहती है कि उनके फेफड़ों, आंखों, दिल, किडनियों और दिमाग से खून बह रहा था। 'शिकागो ट्रिब्यून' में इस मामले पर छपी खबर में दावा किया गया था कि शिमिट की मौत से पहले उन्हें डॉक्टर के पास जाने को कहा गया था, लेकिन उन्होंने इससे इनकार करते हुए कहा कि इससे लक्षणों पर असर पड़ सकता है।
cobra snake viral video
- फोटो : यूट्यूब स्क्रीन शॉट
कुछ लोग मानते हैं कि शिमिट की जिज्ञासा ने उनकी जान ले ली। हालांकि, कुछ लोग ये मानते हैं कि शिमिट इतने प्रतिष्ठित वैज्ञानिक थे कि वह जानते थे कि इस जहर को बेअसर करने वाली दवा सिर्फ अफ्रीका में उपलब्ध थी। ऐसे में उन्होंने अपनी मौत को स्वीकार कर लिया था। पब्लिक रेडियो इंटरनेशनल के साइंस फ्राइडे प्रोग्राम को पेश करने वाली टॉम मेकनामारा कहती हैं कि शिमिट अपनी मौत को सामने देखकर जरा भी हिचके नहीं बल्कि एक अनजान रास्ते पर बढ़ गए।