कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सलाहकार सैम पित्रोदा कुछ भी बोलते हैं। इसका नजीर वो बार-बार पेश कर रहे हैं। 2019 के लोकसभा चुनावों के रुझान पर उन्होंने खुद की पार्टी को इस कदर दिलासा दिया है कि पार्टी रोए या हंसे समझ भी नहीं आ रहा है।
इससे पहले भी पित्रोदा कई बार ऐसे बयान दे चुके हैं। जिससे बार-बार पार्टी के प्रवक्ताओं को सामने आकर सफाई देनी पड़ती है। इससे पहले सैम पित्रोदा ने सिख दंगे पर बोलते हुए कहा था कि हुआ तो हुआ जो बीत गया उस पर क्या बात करना।
सैम अंकल ने तो इस बयान पर सफाई देते हुए कहा कि हिंदी की समझ नहीं है। इसके बाद तो कई हिंदी लेखकों ने उन्हें आड़े हाथों लेते हुए ट्विटर पर कई ट्वीट किए। जिसमें उन्होंने सैम पित्रोदा को मुफ्त में हिंदी सिखाने की बात कही।
वैसे तो सैम पित्रोदा के अलावा कांग्रेस में कई ऐसे नेता हैं जिनकी हिंदी तो नहीं खराब है। लेकिन जुबान फिसल जाती है। सैम पित्रोदा का हुआ तो हुआ सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ। लोगों ने इस बयान का बाद सैम पित्रोदा की खूब फिरकी ली और मीम्स बनाई।
अपने बयान पर सफाई देते हुए उन्होंने कहा था कि उनकी हिंदी ख़राब है वो जो कहना चाहते थे वैसा पूरी तरह हिंदी में नहीं बोल पाए। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक़, पित्रोदा ने इस मामले में माफ़ी मांगते हुए कहा कि जो हुआ वह बुरा हुआ कहना चाहत थे। 'बुरा हुआ' शब्द का अनुवाद उनके दिमाग़ में उस वक़्त नहीं आ पाया। बहरहाल रुझानों के आंकड़े से सैम पित्रोदा से एक बात जरुर सीखनी चाहिए कि जो हुआ सो हुआ अब रोने से क्या फायदा।