पर्यावरण पर किस तरह खतरा मंडरा रहा है यह आपको बताने या जताने की जरूरत नहीं है। तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है, ध्रुवों पर बर्फ पिघल रही है, बाढ़ बारिश के मौसम में अपने पैर पसार रही है और इंसान हमेशा की तरह प्रकृति की कुर्बानी देकर खुद के लिए जगह बना रहा है। हमारे प्रधनामंत्री Narendra Modi जी को तो कई खिताब भी मिल चुके हैं पर्यावरण की सेवा करने के लिए यहां तक कि Man Vs Wild में भी उन्होंने खुद को नेचर लवर तक बता दिया था लेकिन उन्हीं के नेता अब कह रहे हैं कि आरे के पेड़ सिर्फ इसलिए काटे जा रहे हैं क्योंकि वो जंगल का हिस्सा नहीं हैं।
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पर्यावरण मंत्री Prakash Javdekar आरे जंगलों में कटाई को लेकर कहा कि Bombay High Court ने कहा है कि यह जंगल नहीं है। जब दिल्ली में पहले मेट्रो स्टेशन का निर्माण किया जा रहा था, तो उस दौरान भी 20-25 पेड़ काटे जाने थे। तब भी लोगों ने विरोध किया था, लेकिन प्रत्येक पेड़ को काटने के बदले, पांच पेड़ लगाए गए थे।
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बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश के बाद, पेड़ों की कटाई के खिलाफ आरे जंगलों में कल रात विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। दूसरी लोगों ने कहा कि जिन 2600 से अधिक पेड़ों को काटा जाना है, उनमें से 800 पेड़ अब तक काटे गये हैं। जावड़ेकर जी को कोई जाकर ये बताए कि पेड़ पेड़ ही होता है वो चाहे जंगल का हो या फिर रेगिस्तान का हो। लेकिन उच्च पदों पर बैठे अधिकारियों को शायद इस बारे में पता नहीं तभी इस तरह के बेतुके बयान दे रहे हैं।
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यह हमारे लिये ही कितना खतरनाक है कि हम अपने विकास के लिए उन पेड़ों की बलि चढ़ा रहे हैं जो हमारा पेट भरने का काम करते हैं। हम जिस डाल पर बैठे हुए हैं उसी को ही काटने की कोशिश कर रहे हैं जिसका खामियाजा अब हमें Global Warming के रूप में झेलने को मिल रहा है।
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प्रधनामंत्री जी को तो कई खिताब भी मिल चुके हैं पर्यावरण की सेवा करने के लिए लेकिन उन्हीं के नेता अब कह रहे हैं कि आरे के पेड़ सिर्फ इसलिए काटे जा रहे हैं क्योंकि वो जंगल का हिस्सा नहीं हैं।