विस्तार
हमारे प्यारे सीरियल्स, जिनके बिना हम, हमारी मम्मी, पड़ोस वाली आंटी तो बिलकुल नहीं रह पातीं, उनके बारे में कुछ ऐसी बातें हम आपको बताते हैं जिनके सामने सब फेल है।
मेकअप, सुबह से रात तक
चाहे दिन हो या रात मेकअप में इनका जवाब नहीं खाते वक्त, नहाते वक्त या सोते वक्त भी ये मेकअप नहीं हटता।
नारीवाद ज़िंदाबाद
वैसे तो हम कहते हैं कि यह सोसाइटी पुरुष प्रधान है, पर इन सीरियल्स में किचन से लेकर मर्डर मिस्ट्री तक..सिर्फ औरतों का ही बोलबाला है।
तीन बार थप्पड़
किसी भी टीवी सीरियल में थप्पड़, गुस्सा या इशारा बिना तीन बार आवाज़ किए पूरा नहीं होता।
बड़ी बिंदी ही मेरी पहचान
किसी भी खलनायिका को दिखाने के लिए बड़ी बिंदी का ट्रेंड सालों से चलता आ रहा है।
दिल्ली-मुंबई के बड़े जंगल और सुनसान रोड
जहां ना पहुंचे पुलिस वहां पहुंचे हिरोइन..सारे मर्डर, लूट पाट इन्ही रोड पर होती हैं जहां से कोई आता-जाता नहीं।
चाहे मातम हो या काम..हमें तो पहनने हैं गहने
कोई फर्क नहीं कि क्या काम है। टीवी सीरियल्स में औरतें गहने और नई साड़ियों के साथ ही मिलेंगी।
मर के ज़िंदा होना कोई इनसे सीखे
चाहे कोई प्लेन क्रैश में मरा हो या कार हादसे में जब तक निर्देशक-निर्माता के साथ कॉन्ट्रेक्ट है तब तक वो किरदार जिंदा है अगर सीरियल में वापसी हो तो plastic surgery का बहाना सबसे अच्छा ज़रिया है!
गहने ऐसे कि बप्पी दा भी शर्मा जाएं
चाहे गरीबी दिखानी हो या अंबानी से ज्यादा अमीरी..गहने बराबर पहनने ही है..जाने क्यों?
तू-तू मैं-मैं
हर कहानी में या तो सास विलन या बहू..जिनके बीच की रार कभी खत्म नहीं होती।
तकरार..प्यार..झगड़ा..शादी..तलाक..फिर प्यार..!
ऊफ! कोई नया एंगल दिखता ही नहीं..एक हीरो के लिए 5 लड़कियां..कहां दिखता है ये..??????