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ज्ञानी महाराज कहते हैं कि मोहब्बत आइसक्रीम है। उन्होंने आइसक्रीम के विभिन्न फ्लेवरों की बात करते हुए कहा कि मोहब्बत के भी तमाम फ्लेवर हैं, जितने फ्लेवर हैं उतने ही कलर हैं, कहीं मोहब्बत सॉफ्ट है तो कहीं हार्ड है, लेकिन मोहब्बत और आइसक्रीम में सगी बहनों-सा नाता है। उनकी बात पर बच्चे, मतलब युवा और किशोर खूब ताली बजाते हैं और सभा का विसर्जन होता है। इसी सभा में हमारा हीरो भी बैठा होता है, जिसके चार-छह दोस्त भी साथ में होते हैं।
ज्ञानी महाराज बतलाते हैं कि आइसक्रीम का रंग ही मोहब्बत का रंग होता है, जैसे गुलाबी, सफेद, पीला, हरा, कत्थई और संतरिया। इसी तरह की मोहब्बत भी होती है गुलाबी, सफेद, पीली, हरी, कत्थई, संतरिया वगैरह। दोनों मुलायम अहसास हैं। अपवादस्वरूप ही कठोर होते हैं और वह भी तब, जब ज्यादा सयानी-समझदारी होने लगे। मोहब्बत दरअसल, एक नंबर पर चलने वाला पंखा है, जो मुंह को बड़ा अच्छा लगता है। सब बच्चे मारे खुशी के किलकारी भर उठते हैं और जोर से ताली बजाते हैं तथा एक बार फिर ज्ञानी महाराज के चरणों पर गिर पड़ते हैं।
यहां कहानी यह है कि ज्ञानी महाराज से प्रवचन सुनकर, अपने समाधान लेकर घर आया हीरो लगातार कुछ सोच रहा है। उसके दोस्तों ने भी उसको आइसक्रीम और मोहब्बत के सगी बहन होने का रहस्य पता लगाने को कहा है। हीरो के पिता की शहर में आइसक्रीम की एक दुकान है, जहां तरह-तरह की आइसक्रीम बेची जाती हैं। हीरो के पिता संघर्षशील और भले-से आदमी हैं। व्यापार की खासी तमीज रखते हैं, छोटे से बड़े हुए हैं। हीरो के पिता की भी अपनी कहानी है। जवानी में कोई रोजगार नहीं था। ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं थे। स्कूल-स्कूल जाकर आइसक्रीम बेचते थे। उनकी मेहनत रंग लाई। एक स्कूल की घंटी बजाने वाली बाई से उनको प्रेम हो गया, जो बाद में उनकी जीवनसंगिनी बन गई। पहली आइसक्रीमीय मोहब्बत तो यही हुई। हमारा हीरो इनका ही बेटा है।
पिता ने साइकिल गाड़ी पर आइसक्रीम बेची, मोहब्बत की और भगवान की दया से आज इतना बड़ा आइसक्रीम पार्लर खोल लिया। हीरो को उसकी सीधी सच्ची मां बतलाती भी है कि तेरे पिता ने जीवनभर कितना संघर्ष किया तब इस मुकाम तक पहुंचे, अब तुझे और आगे जाना है, एक पार्लर से दस पार्लर करना है। लेकिन हीरो को पहले मोहब्बत करनी है। पिता कहता है कि कॉलेज ढंग से जाता नहीं है, हर सेमेस्टर में तीन विषय ठहर जाया करते हैं, कहां ध्यान रहता है। यदि पढ़ने में दिल नहीं लगता, तो दुकान आकर बैठ। बेटे को चूंकि ज्ञानी महाराज से कुछ ज्ञान मिला था और फिर बस स्टॉप में लगी लाइन हर वक्त सपनों में हीरोइन दिखाई देती थी, इसलिए अपनी मां के सहारे पिता को इस बात के लिए राजी करता है कि कुछ समय वह आइसक्रीम पार्लर में भी काम संभालेगा और पढ़ेगा भी।
हीरो अब पिता के आइसक्रीम पार्लर में जाकर बैठने लगा है। हीरो को इस बात में बड़ा सुख है कि जो भी आता है मुस्कुराकर बात करता है, लाड़ से बात करता है, लड़कियां नाज-ओ-अदा और नखरों से बात करती हैं। हीरो का मन कोमल है। कई बार उसका मन करता है कि वह लड़कियों से पैसे न ले, पर पिता से डरता है। लेकिन कई बार वह कुछ खास लड़कियों को ज्यादा आइसक्रीम दे दिया करता है एक शाम उसे बेहद ताज्जुब हो जाता है, उसकी खुशी का पारावार नहीं रहता, जब उसके पार्लर में खिलखिलाती लड़कियों का झुंड आता है, उसमें वे सब होती हैं, जो उसे और उसके साथियों को बस स्टॉप में मिला करती थीं। वह खुशी से चहक उठता है।
वह लड़की जिसे वह चाहता था, जो उसको थप्पड़ मारती है, वही सब लड़कियों को लेकर उसके पार्लर में आती है। उस दिन हीरो के पिता कहीं गए होते हैं, बस फिर क्या था, हीरो सबकी बहुत खिदमत करता है। मुफ्त में नहीं खिला पाता, लेकिन भर-भरकर, बहा-बहाकर, फैला-फैलाकर खिलाता है। आज थप्पड़ मारने वाली लड़की मुस्कुरा रही है, अच्छी बातें कर रही है। हीरो उससे कहता है और आइएगा, आती रहिएगा। उनके जाते ही हीरो ज्ञानी महाराज के चरणों में अपना प्रणाम कहता है और भेंट स्वरूप आइसक्रीम का बड़ा पैक गिफ्ट करता है।
ज्ञानी महाराज उसे आशीर्वाद देते हैं और मुस्कुराते हैं। हीरो की प्रेमिका के साथ केमिस्ट्री दिलचस्प है। प्रेमिका को बचपन से आइसक्रीम बड़ी पसंद थी। उसके पिता उसी स्कूल में मास्टर थे, जहां हीरो की मां घंटी बजाती थी और नौकरी करती थी। प्रेमिका के पिता को भी उससे मोहब्बत थी, लेकिन हीरो के पिता का डमरू और हीरो की मां की घंटी बजाने की टाइमिंग परफेक्ट थी, इस वजह से प्रेमिका के पिता अपने दिल की बात कहने से चूक जाते।
नतीजा यह हुआ कि हीरो के पिता और हीरो की होने वाली मां को आइसक्रीम, स्कूल की घंटी और पिता द्वारा बजाए जाने वाले डमरू ने मिला दिया। बाद में हीरो की प्रेमिका के पिता की शादी घर-परिवार की मर्जी से हो गई। अब जब दोनों तरफ बच्चे यानी हीरो और उसकी प्रेमिका बड़े हो गए तो उनके ब्याह के वक्त प्रेमिका का पिता अड़ंगे डाल देता है, जब वह यह जानता है कि उसकी बेटी की मोहब्बत उस लड़के से है, जिसकी मां से वह कभी प्यार करते थे, लेकिन लड़के के पिता ने डमरू बजा-बजाकर घंटी बजाने वाली उनकी मोहब्बत को अपना बना लिया।
बेवजह का विरोध है, जो बाद में बड़ी मुश्किल से सुलझता है जब हीरो की मां, हीरो की प्रेमिका के पिता को चार मोहब्बत की बातें कर के पानी-पानी कर देती है। हीरो का मसला तो हल हो ही गया है, अंत भला तो सब भला। ज्ञानी महाराज की पौ-बारह है, वे सबको आइसक्रीम खाते हुए प्रवचन दे रहे हैं। उनके प्रवचन सभी श्रद्धालु सुन रहे हैं, लोकल चैनल से भी प्रसारित हो रहे हैं, उनकी सभा में ये सभी ब्याहता मगन होकर बैठे हैं, मोहब्बत और आइसक्रीम सगी बहनें हैं।