प्याज की बढ़ती कीमतों ने समाज में अमीरी-गरीबी की परिभाषा बदल दी है। आज के समय में प्याज के पांव जमीन पर नहीं सातवें आसमान पर है या यूं कहे जिसके चरण स्पर्श मिडिल क्लास आदमी तो सपने में भी करना का नहीं सोच सकता है। सच कहे तो प्याज प्याज न होकर कोई नवयुवती हो गई है। ये बात हम ऐसा इसलिए कह रहे है कि क्योंकि झारखंड में प्याज पुलिस की सुरक्षा में बिक रही है।
नेफेड व बिस्कोमान द्वारा शनिवार को भी शहर के हरमू, मोरहाबादी, रातू, डोरंडा, कडरू, लालपुर आदि इलाकों में 35 रुपये किलो की दर से प्याज की बिक्री की गई। देखते ही देखते प्याज से लदे ट्रक कुछ ही घंटों में खाली हो गए।
बाजार में जहां प्याज 70 से 80 रुपये प्रति किलो प्याज बिकने के कारण सभी जगहों पर सस्ता प्याज खरीदने के लिए लोगों की भीड़ लग गई। प्याज खरीदारों की संख्या का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि शनिवार को सिर्फ तीन घंटे में ही लोगों ने दो हजार किलो प्याज खरीद लिया।
इन दिनों प्याज के प्रति प्यार केवल जनता में नहीं बल्कि नेताओं में खूब देखने को मिल रहा है। यहां फिर यूं कहे कि प्याज प्याज न होकर सियासत की कुर्सी हो गई है, जिसको पाने के लिए हर कोई पसीना बहा रहा है। आज प्याज सोने से कम थोड़े न है ! वे दिन दूर नहीं जब अखबार में यह सुर्खियां बनेगी कि एक किलो प्याज के लिए चोरों ने किया किडनेप।
राह चलते एक सज्जन के हाथों से चोरों ने प्याज से भरा पूरा बैग लेकर दिन दहाड़े बनाया लूट शिकार। फलां-फलां जगह पर बरामद हुए पांच किलो प्याज, अपराधी गिरफ्तार। पड़ोसी ने प्याज के लिए की पड़ोसी की हत्या। कुछ ऐसे ही किस्से आगामी समय में हमारे समक्ष होंगे।