विस्तार
प्रेम का सीजन उफान पर है। वसंत खिसियाया हुअा एक कोने पर पड़ा है। वसंत के साथ, घर की मुर्गी दाल बराबर वाले हालात हैं। मौसम बेशक प्रेम का है और हर प्रेमी का मन वसंत की तरह उत्साह और खुशी से लबरेज है, लेकिन वसंत की पीड़ा यह है कि वह मॉडर्न प्रेमियों की प्रेमाट्टालिकाओं की नींव में दबा है और प्रेम के भव्य भवन वेलेंटाइन ब्रांड के इम्पोर्टेड झूमरों से चमचमा रहे हैं।
जमीन के नीचे सर्द अंधेरे में वसंत को हरदम स्वदेशी प्रेम के सूरज के उगने का इंतजार है। यह पूर्ण रूप से बाजार सिद्ध त्योहार है। दुकानों में दिल लटके दिखाई दे रहे हैं। कई रांझे लटकते दिलों को देखकर आह भर रहे हैं। उनकी हीर इस वेलेंटाइन पर किसी और की बाहों में लटक रही है। लेकिन रोमियो की गाड़ी दौड़ रही है।
पिछले साल किसी और के साथ मनाया था, इस बार साथ में कोई और है। यह हफ्ते भर का प्यार बड़ा खर्चीला है। इस सीजन में गुलाब भी तो 500 से कम का न बिकता है। टैडी खरीदने में डैडी याद आ जाते हैं। हालांकि प्रेमी खुद की भालू जैसी शक्ल से रिझाने जा सकता है, लेकिन इसके लिए प्रेयसी को ब्रांडेड कपड़े गिफ्ट करने का रिवाज है।
दिल में भले जहर भरा हो, लेकिन बिना चॉकलेट खाए-खिलाए यह त्योहार अधूरा ही रहता है। इसके अलावा एक प्रॉमिस डे कहा गया है। इस दिन एफबी, इंस्टा वगैहर के पासवर्ड शेयर करने के झूठे वादे किए जाते हैं। बाद में यह ब्रेकअप का आधार बन जाता है। खैर, प्यार का यह खेल किस डे, हग डे से गुजरता हुआ वेलेंटाइन डे पर खत्म होता है।
प्यार को बाजार का पूरा सपोर्ट है, जब तक प्यार दिखाऊ नहीं होगा तब तक टिकाऊ नहीं हो सकता। प्यार भावनाओं से नहीं गिफ्ट के वजन पर टिका है। अगर आपने गिफ्ट का वजन कम किया तो समझिए प्यार का धागा कहीं न कहीं उलझ ही जाना है। एक हफ्ते के प्यार के सेलिब्रेशन के बाद प्यार की गहन समीक्ष होती है।
इस दौर में जो प्रेमी-प्रेमिका सरप्लस वाला बजट पेश कर पाते हैं, वही अक्सर प्रेम के अगले दौर में प्रवेश करते हैं। इसे आधुनिक प्रेम की अवधारणा में इनिशियल एलिमिनेशन कहा जाता है। खैर, वैसे भी प्रेम दोधारी तलवार है। कटना तो पड़ता है। लेकिन, डरिए नहीं हिम्मत से काम लीजिए बाजार का आशीर्वाद है, तो सब कुशल मंगल ही होगा। बाकी वसंत को एक दिन अपनी मौत मर ही जाना है।