1000 साल पहले मरी थी महिला, अवशेष से वैज्ञानिकों ने बनाया उसका 'असली चेहरा'
टीम फिरकी, नई दिल्ली
Published by:
Ayush Jha
Updated Wed, 06 Nov 2019 10:11 AM IST
प्रतिकात्मक तस्वीर
- फोटो : social media
ये बात तो हम सभी जानते है कि विज्ञान और तकनीक ने अभूतपूर्व तरक्की करते हुए बड़े आयाम हसिल किए हैं। पिछले कुछ वर्षों में विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में इतनी तरक्की हुई है कि आज इसकी सहायता से ऐसे-ऐसे काम किए जा सकते हैं जो इंसानी सोच से भी परे हैं। विज्ञान और तकनीक का एक ऐसा ही नमूना इन दिनो दुनिया के सामने आया है। जिसके बारे में इंसानी दिमाग कल्पना भी नहीं कर सकता। ये कारनामा ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने किया है, उन्होंने एक महिला वाइकिंग्स के अवशेषों से उसका चेहरा बनाया है।
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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कई साल पहले वाइकिंग हुआ करते थे। उनका साम्राज्य मुख्य रूप से लूटपाट के सहारे चलता बढ़ता था। वाइकिंग समुदाय का ताल्लुक नार्वे और आस-पास के क्षेत्र से था, लेकिन लूटपाट के लिए वे लंबे समय तक अपने घरों से दूर रहते थे। वाइकिंग समुदाय में महिला और पुरुष दोनों ही लूटपाट करते थे। ऐसा कहा जा रहा है कि महिला 1,000 साल पहले बिल्कुल वैसी ही दिखती होगी जैसा कि वैज्ञानिकों ने उसका चेहरा बनाया है।
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महिला वाइकिंग योद्धा के अवशेषों को ओस्लो के म्यूजियम ऑफ कल्चरल हिस्ट्री में संजो कर रखा जाएगा। वैज्ञानिकों को वाइकिंग महिला की कब्र से कंकाल के अलावा तीर, तलवार, कुल्हाड़ी और भाले के अलावा और भी कई घातक हथियार भी मिले हैं, जिनका इस्तेमाल वाइकिंग लूट के दौरान करते थे। वैज्ञानिकों को महिला की खोपड़ी पर एक गहरे घाव का निशान भी मिला है, जो उसके माथे पर है।
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पुरातत्ववेत्ता एला अल-शामही ने बताया कि कब्रिस्तान से मिले अवशेषों को शुरू से ही किसी महिला की मान लिया गया था, लेकिन कब्र को किसी योद्धा की कब्र नहीं माना जा रहा था क्योंकि वह एक महिला की कब्र थी।अल-शामही के अनुसार, यह बात साफ नहीं है कि माथे पर गहरी चोट के कारण ही महिला की मौत हुई थी या नहीं। किसी वाइकिंग महिला का लड़ाई में चोट के मिलने का यह पहला सबूत है।
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अल-शामही ने कका कि वो इसे लेकर काफी उत्साहित हैं, क्योंकि यह एक ऐसा चेहरा है, जिसे 1,000 साल से किसी ने नहीं देखा है और जो अचानक से सबके सामने आ गया। मीडिया में आई खबरो की माने तो महिला के चेहरे को वैज्ञानिकों ने फेशियल रिकग्नीशन टेक्नोलॉजी (चेहरा पहचानने वाली तकनीक) की मदद से बनाया है। चेहरे को शरीर की कृतिम मांसपेशियों और त्वचा से ही बनाया गया है। चेहरे को बनाने की प्रक्रिया को एक डॉक्यूमेंट्री के जरिए नेशनल जियोग्राफिक पर तीन दिसंबर को प्रदर्शित किया जाएगा।