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लैपटॉप अब एक आम डिवाइस हो गया है। ऑफिस का काम हो या घर की जरूरत, लैपटॉप ने जिंदगी को काफी आसान कर दिया है। अगर लैपटॉप के चार्जर को आपने कभी गौर से देखा हो, तो आपका ध्यान भी चार्जर के सॉकेट के पास बने एक छोटे से सिलेंडर के आकार पर गया होगा। कभी सोचा है कि यह क्यों बना होता है?
अधिकतर लोग इस हिस्से को बेकार ही समझते होंगे, मगर कंप्युटर टेक्नोलॉजी के एक्सपर्ट्स के लिए यह चीज बहुत इंपॉर्टेंट है। सिर्फ लैपटॉप चार्जर ही नहीं, यह हिस्सा प्रिंटर, मॉनीटर, कैमरा जैसे कई केबल्स में लगा होता है।
क्या नाम है इसका??
चार्जर के इस हिस्से के कई नाम हैं। इस सिलेंडरनुमा हिस्से को फेराइट बीड, फेराइट चोक या फेराइट सिलेंडर जैसे कई नामों से जाना जाता है। इसके अवाला इसे ब्लॉक्स, कोर्स, रिंग्स, ईएमआई फिल्टर्स या चोक्स भी कहा जाता है।
क्या करता है यह उपकरण
असल में यह एक इंडक्टर होता है, जो इलेक्ट्रॉनिक सर्किट्स में आने वाली फ्रिक्वेंसी न्वाइज को कंप्रेस करता है। यानि किसी भी सर्किट नें ध्वनि तरंगे कि रफ्तार से वाइब्रेट करेंगी, यह सिलेंडर उसे कंट्रोल करता है। दूसरे शब्दों में कहें तो फेराइट बीड हाई फ्रिक्वेंसी न्वाइज को दबाता है।
यह फेराइट सिलेंडर आपके लैपटॉप को इलेक्ट्रोमैग्नेटिक न्वाइज़ से बचाता है। यह आवाज़ तारों द्वारा ली जाने वाली तरंगो या फिर एसी-डीसी कनवर्टर/एसी लाइन से आने वाली न्वाइस होती है।
यह क्या करता है
यह दोनों दिशाओं यानी एक डिवाइस (मसलन लैपटॉप) से तार में जाने वाली और तार से डिवाइस में आने वाले व्यवधान को रोकता है। अगर डिवाइस रेडियो फ्रिक्वेंसी एनर्जी प्रोड्यूस करती है तो फेराइट सिलेंडर लगी केबल एक एंटेना की तरह काम करती है। केबल के जरिये यह रेडियो फ्रिक्वेंसी एनर्जी ट्रांसमिट हो जाती है।
आसान भाषा में कहें तो यह बीड एक डिवाइस को अन्य उपकरणों की रेडियो फ्रिक्वेंसी से बचाती है और इसका उलट काम भी करती है।
इस वजह से किसी डिवाइस की परफॉर्मेंस पर कोई असर नहीं पड़ता। अगर यह सिलेंडर न हो तो आपको स्क्रीन पर तस्वीर हिलती-डुलती, झिलमिलाती नजर आएगी। इस बीड से न्वाइज डिस्टर्बेंस रुक जाती है और डिवाइस में दिक्कत नहीं आती।
इसका एक उदाहरण हम इस तरह भी समझ सकते हैं कि यदि कोई मोबाइल एक पुराने टीवी के साथ रखा हो और किसी का फोन आ जाए, तो टीवी के विजुअल्स हिलने-झिलमिलाने लगते हैं। यही असर दूसरे डिवाइस पर भी पड़ेगा। इसके पीछे कारण यह है कि कंडक्टर्स से करंट पास होता है तो रेडियो एनर्जी बनती है। यह एनर्जी न्वाइज (डिस्टर्बेंस) बन कर बाहर निकलती है।
यह दूसरे डिवाइस में डिस्टर्बेंस पैदा करती है। इससे एनर्जी सिर्फ चार्जिंग के लिए ही इस्तेमाल होती है यानि ये चार्जिंग के लिए टाइम और एनर्जी दोनो बचाता है।