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व्हॉट्सएप पर मिला इन दिनों मजेदार किस्सों-कहानियों और जोक्स की गंगा बह रही है। ताजा मामला जीएसटी का है। जीएसटी यानी वस्तु एवं सेवा कर, इसको लेकर भी जोक्स की जैसे बाढ़ आ गई है। यहां भी एक जीएसटी को लेकर एक दिलचस्प कहानी है, जो आपको ठहाके लगाने को मजबूर कर देगी।
मेरी श्रीमती जी ने कहा
ए जी घर खर्च के लिए कुछ पैसे दो
मैंने कहा हां लो
पर पहले जितना समान तुमने इस महीने खरीदा है उन के सब के बिल लाओ बिलों का भौतिक सत्यापन
कराओ
घरके सब लोगों को जितनी रोटी सब्जी खिलाई वो सब अलग से लिखो
महमानों को जो चाय नाश्ता कराया उसे अलग कॉलम में लिखो
जितनी सब्जी भाजी बेकार हो गयी है उन्हें
अलग से वेस्टेज में डाल कर लिखो और हां जो गाय और कुत्तों को रोटी डालती हो न, उन सबका अलग से हिसाब लिखना
सब्जी वाले से जो फ्री की धनिया ली थी उसे अपनी इनकम में
जोड़ कर दिखाना
महीने में बचे हुए नमक मसालों की ग्राम और छटांक को अलग से लिस्ट में दर्शाना
किट्टी पार्टी में जो हाउजी में जीती थीं वो अपनी डायरेक्ट इनकम में शो करना
मैं बोलता
जा रहा था उसे काली माता चढ़ती जा रही थी!
सुनो और जो बाइयों को खाना देती हो न उसका उसका सत्यापन करके अलग दर्शाना
अब स्थिति उस स्तर पर पहुंच चुकी थी जहां
विस्फोट होना मात्र समय की बात थी!
हांफते हुए फिर बोला और जो मायके से अभी मिला है वो पूरा बताओ
और हिसाब में कुछ गड़बड़ होगी तो दंड मिलेगा
बस्ससससस
कश्मीर में तैनात
किसी मेजर गोगोई की तरह बहुत संतुलित हो कर उसने मेरे माथे पर हाथ रखा और बोली दिमागी बुखार तो नही लग रहा
सुबह से भांग वांग सटक ली है क्या!
#पागलागएहोक्याक्याबकेजारहेहो
मैंने फीकी हंसी हंसते हुए कहा- पगली जो तुम मुझ से कल GST पूछ रही थी न कि क्या है?
बस, वो यही है!