दिल्ली में भी है एक 'भूतों वाली गली', नाम सुनते ही रास्ता बदल लेते हैं लोग
टीम फिरकी, नई दिल्ली
Updated Mon, 15 Oct 2018 11:55 AM IST
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में नाईवालान, टोकरीवालान, घोड़ेवाली गली, बल्लीमारान हो सकता है लेकिन जब नाम आता है 'भूतों वाली गली' का तो मन में अजीब-अजीब खयाल उमड़ना लाजमी है। जो लोग इस गली का नाम पहली बार सुनते हैं वो चौंकते जरूर हैं। फिर उनके मन में उसके बारे में जानने की उत्सुक्ता पैदा हो जाती है। तो चलिए आपको भी बताते हैं इस अजीबोगरीब नाम वाली गली के बारे में...
आज के समय में इस गली का नाम भले ही आपको ऊटपटांग नजर आए लेकिन ये बात भी सच है कि इसी नाम के चलते उसे मशहूरी भी मिली है। दूर-दूर तक आज इस गली का नाम है। जो कोई इंसान यहां पहली बार आता है उसके लिए तो यह नाम दहशत और डर का सबब भी बन जाता है। जी हां, गली का नाम सुनते ही उनके कान खड़े हो जाते हैं। कई लोग तो घबराकर पूछ ही लेते हैं कि भैया इस गली का नाम 'भूतों वाली गली क्यों है।
इस गली ने नामकरण की कहानी भी बड़ी दिल्चस्प है। बहुत कम लोग इस गली के नामकरण की असली कहानी से रूबरू हुए हैं। जब तक इसके नाम के पीछे छुपी कहानी नहीं जान लेंगे तब तक आप भी उन्हीं लोगों की तरह अपने दिमाग में इस गली की एक अजीबोगरीब तस्वीर लेकर चलेंगे जो इसे असलियत में भूतों वाली गली मान बैठते हैं।
दरअसल, भूतों वाली गली का नाम सुनकर कई लोग ये बात सच मान लेते हैं और अपना रास्ता तक बदल लेते हैं। जी हां, बहुत से लोग इस गली का नाम सुनने के बाद यहां से गुजरते ही नहीं। हालांकि इस गली में दिनभर आम गली-मोहल्लों की तरह चहलकदमी रहती है।
यह गली पश्चिम दिल्ली के नांगलोई जाट इलाके में है। रोहतक रोड़ से आर्य मोहल्ला होते हुए नांगलोई गांव में दाखिल होने के लिए इसी भूतों वाली गली से होकर गुजरना पड़ता है। कमाल की बात तो ये है कि इस गली के अन्दर गांव का एक पुराना शिव मंदिर पड़ता है। जिन्हें इस गली का इतिहास का ज्ञान नहीं वे लोग इसे शिव मंदिर की राह में बैठे भूतों से जोड़ लेते हैं।
मगर भूतों वाली गली का सच तो कुछ ही लोग जानते हैं। गांव के बुजुर्ग इसबारे में कहते हैं कि असल में यहां कोई भूत-पिशाच नहीं बसता। यहां भी आम लोग ही रहते हैं। बस गली तो इस नाम से बदनाम हो चुकी है। जब उनसे पूछा गया कि ऐसा क्यों तो उन्होंने बताया कि कभी इस गली में गांव के वो लोग रहते थे जो रात को भी खेतों में काम किया करते थे।
दिनभर खेत में काम करने के बाद जब शाम को वो घर लौटते थे तो उनके चेहरे मिट्टी से सने होते थे। इस पर गांव में कुछ लोग चुटकी लेने के लिए उन्हें भूत कह दिया करते थे। बस तभी से इस गली को यह नाम दे दिया गया। फिलहाल, भूतों वाली गली का यह नाम केवल अंजान आदमियों को डराने के काम आ रहा है।