Holi 2019: यहां डमरू की गूंज के बीच चिता की राख से खेली जाती है होली
टीम फिरकी, नई दिल्ली
Published by:
Pankhuri Singh
Updated Tue, 19 Mar 2019 01:49 PM IST
वैसे तो आपने होली के त्योहार को लेकर बहुत कुछ सुना होगा। जैसे कि भारत में सबसे मशहूर होली कहां मनाई जाती है, होली कितने तरीकों से मनाई जाती है, सिर्फ भारत में ही नहीं विदेशों में भीहोली होती है, रंगों के अलावा टमाटर, अंडे और कीचड़ वाली होती भी होती है। हम आपको एक जगह ऐसी के विषय में बताने जा रहे हैं जहां रंगों के त्योहार में चिता की राख से होली होती है।
पान, साड़ी, समोसे, अनोखे इतिहास और खुशमिजाज गलियों के लिए मशहूर इस शहर में ऐसा कुछ है ही नहीं जो किसी को पसंद न आए। यहीं मनती है अतरंगी होली। 'हर हर महादेव' के स्वरों से गूंजने वाले बनारस में हर त्यौहार ही अपने आप में खास बन जाता है।
फाल्गुन एकादशी के दूसरे दिन, काशी के मणिकर्निका घाट पर चिता की राख से होली खेली जाती है। शिवभक्त, डमरू स्वर के बीच एक-दूसरे को राख लगाते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, मणिकर्णिका घाट पर चिता की राख से होली खेलने की तैयारियां महाशिवरात्री से ही शुरू हो जाती हैं। चिता की राख को छानकर इकट्ठा किया जाता है।
कहा जाता है कि महादेव श्मशान की चिता के भस्म से ही होली खेलते हैं। इस होली को 'मसान की होली' के नाम से भी जाना जाता है। शिवभक्तों को ऐसा लगता है, मानो वो महादेव के साथ ही होली खेल रहे हों। इस होली में साधु-संतों से लेकर आम लोग भी हिस्सा लेते हैं।
मसान की होली की शुरुआत बाबा मसान नाथ के श्रृंगार और आरती से होती है। मणिकर्निका घाट पर बाबा मसान नाथ की आरती की जाती है। डमरूओं के स्वर के बीच, आरती के बाद साधु-संत, आम लोग भस्म से होली खेलते हैं। होली खेलने के बाद मणिकर्निका घाट पर स्नान करते हैं।