जमे रहेंगे पीनेवाले, जगा करेगी मधुशाला'
राज्य उलट जाएं, भूपों की भाग्य सुलक्ष्मी सो जाए,
हो जाएं सुनसान महल वे, जहां थिरकतीं सुरबाला,
'बड़े बड़े परिवार मिटें यों, एक न हो रोनेवाला,
-हरिवंश राय बच्चन
ये लाइनें लिखी हैं। हरिवंश राय बच्चन साहब ने। अब तक शायद आप समझ भी गए होंगे। ये कौन थे। एक महान कवि। और सदी के महानायक अमिताभ बच्चन के पिता। आज भी लाइनें उतनी ही वाजिब हैं। जितनी तब जब लिखते वक़्त थी। लाइन को अगर आपने थोड़े ध्यान से पढ़ा होगा तो शायद अब तक समझ गए होंगे। आखिर शराब को लेकर बच्चन साहब क्या कहना चाह रहे हैं।
ये बात भी सच है कि शराब पीने वाले खूब पीने वाले। या फिर ऐसे लोग जो शौक के लिए पीते हों कभी-कभार पीते हों। उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता। कोई क्या कह रहा है। क्या कहना चाहता है। ये उसके कितने फायदे का है।
एक और केटेगरी है। लोगों की। जो शराब पीने को। शौक से। इसके पीछे ये तर्क देते हैं कि हम अच्छी क्वालिटी की शराब पीते हैं। जो अच्छे से फ़िल्टर की गई है। तैयार किया गया है। हेल्थ को ज्यादा इफ़ेक्ट नहीं पड़ता या इफ़ेक्ट ही नहीं पड़ता। कभी-कभार पीने से। लेकिन आज जो आपको हम दिखाने वाले हैं। वो देख कर आप भी और जो महंगे शराब पीने वाले लोग हैं। उनकी नाक सुलग जाएगी।
और एक गुजारिश भी है। अगर आपके आस-पास भी कुछ ऐसे लोग हैं। जो लगातार शराब पीते हैं। या फिर शराब पीने का शौक रखते हैं। तो उन्हें भी जरूर दिखाएं। कैसे उनसे महंगे शराब के नाम पर पैसे वसूले जाते हैं और उन्हें जो मिलता है। बदले में। वो उससे बिलकुल अलग होता है।